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बच्चे और ऊँट की कहानी |
होशियार बच्चे और ऊँट की कहानी | Hosiyar Baccho ki kahani-
एक समय की बात है, एक गांव में चार भाई रहते थे । चारों भाई बहुत होशियार थे उनकी उम्र 15 से 20 वर्ष के बीच थी । एक बार चारों अपने मामा के घर दूसरे गाँव जा रहे थे, रास्ते में उन्हें ऊंट के पैरों के निशान दिखाई दिए। थोड़ा आगे चलने पर उन्हें एक व्यक्ति अपनी तरफ आता दिया, जब व्यक्ति उनके पास आया तो उसने चारो भाइयों से पूछा - " मेरा ऊँट कहीं खो गया है , क्या तुम्हे आस-पास ऊँट कहीं दिखलाई दिया है ?"
चारों भाई में सबसे बड़े भाई ने पुछा- " क्या ऊंट का एक पैर टूटा है?
तभी दूसरा भाई बोला- " क्या ऊंट की पूंछ कटी हुई है ?"
फिर तीसरा भाई बोला- " क्या ऊंट एक आंख से काना है ?"
फिर चौथा भाई बोला- "और उसके ऊपर गेहूं रखे हुए हैं ।"
बच्चों की बात सुनकर ऊँट के मालिक को लगा की अवश्य ही इन बच्चों ने उसके ऊँट को देखा है उसने झट से बच्चों से पूछा - " बच्चो ! बतलाओ मेरा ऊँट कहाँ है |"
तभी चारो ने उत्तर दिया -" हमने ऊँट नहीं देखा । "
बच्चों की बात सुनकर ऊँट का मालिक बोला - " अगर तुमने ऊँट नहीं देखा है तो तुम्हें कैसे मालूम कि ऊंट लंगड़ा, काना, पूँछ कटी हुई है और उसके ऊपर अनाज रखा हुआ है ?"
फिर भी चारों भाई यही बोलते रहे कि हमने तुम्हारा ऊंट नहीं देखा । ऊंट के मालिक को चारों भाइयों पर शक हुआ कि इन्हीं ने ऊंट चुराया है। ऊँट का मालिक चारों भाइयों की शिकायत लेकर राजा के पास पहुंचा और राजा से शिकायत करते हुए बोला- " महाराज! मेरा ऊँट कहीं गुम गया है और इन चारों भाइयों ने मेरे ऊंट का हुलिया बतलाया है किन्तु कहते हैं कि हमने तुम्हारा ऊँट नहीं देखा। मुझे शक है कि इन चारों ने ही मेरा ऊंट चुराया है।"
राजा ने चारों भाइयों से पूछा कि जब तुमने ऊंट देखा ही नहीं है तो तुम्हें ऊंट का हुलिया कैसे मालूम है ? तभी सबसे बड़ा भाई बोला- " महाराज ! हम जहां से जा रहे थे उस रास्तेपर ऊंट के पैरों के निशान थे, एक पैर के निशान कुछ उभरे हुए थे बाकी तीन पैरों के निशान गहरे थे इसका मतलब है कि ऊंट का एक पैर टूटा हुआ था जिसके कारण उसके उभरे हुए निशान बन रहे थे। "
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ऊँट और बच्चों की कहानी |
दूसरे भाई ने कहा - " महाराज !ऊँट की पूंछ कटी हुई होने का संदेह हमें इसलिए हुआ क्योंकि जहां ऊँट के पैरों के निशान थे वहां ऊंट का गोबर बिखरा हुआ नहीं था इसका मतलब साफ़ था की ऊँट की पूँछ कटी हुई है इसी कारण गोबर पूँछ से नहीं टकराया और सीधा जमीन पर गिरा । "
फिर राजा ने तीसरे भाई से पूछा तो उसने कहा-" महाराज ! ऊंट जहां से जा रहा था वहां एक तरफ की घास तो ऊंट ने खाई थी जिसके कारण वहां घास नहीं थी और जिस तरफ ऊँट की आँख ख़राब थी वहां उसे दिखाई नहीं दे रहा होगा इसीलिए उस तरफ ऊंट ने घास नहीं खाई थी और वहां की घास हरी थी इसीलिए हमने अंदाज लगाया कि ऊँट काना है । "
फिर चौथा भाई बोला- " महाराज ! जिस रास्ते से ऊँट जा रहा था उस रास्ते पर गेहूं के दाने बिखरे हुए थे इसलिए मैंने कहा कि ऊंट के ऊपर अनाज रखा हुआ है किन्तु हमने इनका ऊँट नहीं देखा था ।"
चारों के उत्तर सुनकर उनकी बुद्धिमत्ता पर राजा बहुत प्रसन्न हुआ और राजा ने चारों भाइयों को अपने सलाहकार मण्डल में जगह दे दी।
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