बच्चे और वनमानुष की कहानी |
बच्चे और वनमानुष की कहानी | Vanmanush ki Kahani -
एक गांव था जिसमें वनमानुष के बारे में कई किस्से सुनाए जाते थे। लोग वनमानुष को भयानक, रहस्यमय जीव के रूप में देखते थे । वनमानुष गांव के पास एक घने जंगल में रहता था और कभी-कभी उसके बारे में अनोखी घटनाएं सुनाई देती थीं। एक दिन, गांव के एक व्यक्ति ने वनमानुष को देखा और उसे पकड़ने का प्रयास किया। परन्तु वनमानुष चतुराई से उससे बच गया और जंगल में घुस गया। इसके बाद, वनमानुष की चर्चा और भयभीतता गांव के सभी लोगों में और बढ़ गई।एक दिन एक बच्चा गांव के पास खेलते हुए गाँव से दूर जंगल में चला गया । उसी समय एक भेड़िये ने बच्चे को देख लिया और उस पर हमला कर दिया । उस समय वनमानुष भी वहीँ था वनमानुष को बच्चे के रोने की आवाज आई । वह बच्चे के रोने की आवाज के पास गया और वनमानुष ने जब यह देखा कि भेड़िये ने बच्चे पर हमला कर दिया तो वनमानुष ने एक मोटी लकड़ी उठाई और भेड़िये पर हमला बोल दिया । वनमानुष के हमले से भेड़िया डर गया और बच्चे को छोड़कर भाग गया । बच्चा वनमानुष को देखकर बहुत खुश हुआ और उसे अपना मित्र बना लिया। वह रोज़ उसके सांथ खेलता और मिलता था । वनमानुष के दिल में उस बच्चे के प्रति एक अलग ही स्नेह और दया आ गई।
वनमानुष ने अपने दोस्त बच्चे को कई बातें सिखाईं जैसे धैर्य रखना, प्रकृति के साथ मिलकर रहना और अन्य मूल्यवान सीखें । बच्चा भी अपने वनमानुष मित्र की सभी बातों का ध्यान रखता और उसकी सीखों का पालन करता था।
लोगों को जब यह पता चला कि वनमानुष ने बच्चे की जान बचाई है और प्रतिदिन उसके सांथ खेलता है तो इस तरह, वनमानुष और बच्चे की दोस्ती गांव में भी चर्चा बन गई। लोगों ने विचार किया कि वनमानुष भी एक आदिवासी मनुष्य की तरह है जिसका दिल भी दयालुता और प्रेम से भरा होता है। वे अब उसे भयानक नहीं बल्कि प्रेमपूर्वक देखते थे। "वनमानुष" कहानी संवेदनशीलता, प्रकृति के साथ संबंध और सजगता के महत्व को दर्शाती है।
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