हाथी और दरजी की कहानी | Hathi aur Darji ki kahani
एक समय की बात है एक कस्बे में एक दर्जी रहता था। दर्जी बहुत ही दयालु और अच्छे स्वभाव का इंसान था। आसपास के सभी लोग उसी से अपने कपड़े सिलवाते थे। एक दिन कहीं से एक हाथी आया और दर्जी के पास आकर खड़ा हो गया। हाथी को अपने पास खड़ा देखकर दर्जी ने खाने के लिए कुछ फल हाथी को दे दिए । फल खाकर हाथी बहुत खुश हुआ और वहां से चला गया।
दूसरे दिन हाथी फिर दरजी के पास आकर खड़ा हो गया । दरजी समझ गया की हाथी को फल खाना है । दरजी ने फिर कुछ फल हाथी को दे दिए । हाथी इस बार भी फल खाकर वापस चला गया ।
अब हाथी प्रतिदिन दर्जी के पास आता और उसकी दुकान के सामने खड़ा हो जाता। दर्जी उसे कुछ फल दे देता जिन्हें खाकर वह वापस चला जाता था । यह सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा । एक दिन दर्जी को कुछ जरूरी काम आ गया जिससे उसे बाहर जाना पड़ा । बाहर जाने के पहले दर्जी दुकान पर अपने लड़के को बैठा गया और उसे कुछ फल दे दिए और जाते-जाते बोल गया कि जब भी हाथी आए तो उसे यह फल खिला देना।
लड़के ने अपने पिता की बात में हामी भर दी । दर्जी का लड़का बहुत शरारती था उसे एक शरारत सूझी । उसने फल पहले ही खा लिए और जब हाथी दुकान पर आया और फल खाने के लिए जैसे ही सूंड आगे बढ़ाई दरजी के लड़के ने उसकी सूंड में सुई चुभो दी। सुई लगने से हाथी की सूंड में तेज दर्द हो रहा था। दर्द से राहत पाने के लिए हाथी नदी की तरह भागा। नदी पहुंचते ही हाथी ने नदी में अपनी सूँड़ डाल दी, जिससे उसे काफी राहत मिली।
हाथी गुस्से से आग-बबूला हो रहा था और किसी भी तरह दर्जी के लड़के से बदला लेना चाहता था। हाथी ने नदी में स्नान किया और अपनी सूंड मे कीचड़ भरकर वापस दर्जी की दुकान की ओर चल पड़ा। हाथी दोबारा दर्जी की दुकानपर पहुंचा।
Hathi aur Darji ki kahani |
दरजी लड़का दुकान पर ही बैठा हुआ था। हाथी ने फिर अपनी सूंड आगे की बढाई , दरजी का लड़का समझा की हाथी फल मांग रहा है , उसने सुई उठाकर जैसे ही हाथ आगे बढ़ाया हाथी ने अपनी सूँड़ में भरी हुई सारी कीचड़ दर्जी के लड़के के ऊपर डाल जी जिससे दर्जी का लड़का पूरा कीचड़ में खब गया साथ ही दुकान में रखे हुए कपड़े भी खराब हो गए।
जब दर्जी लौटकर दुकान आया तो अपनी दुकान की हालत देखकर लड़के से सारा माजरा पूछा लड़का बोला - " ये कीचड़ आपका हाथी सूंड में भरकर लाया था और मेरे ऊपर डालकर सारी दुकान को खराब कर गया। "
दर्जी को लड़के की बात पर विश्वास नहीं हुआ उसने जब लड़के से सख्ती से पूछ्ताछ की तो लड़के ने सारी बात बतला दी। दर्जी अपने लड़के को लेकर उस स्थान पर गया जहाँ हाथी रहता था। दर्जी ने प्यार से हाथी को सहलाया और उससे कुछ फल खाने के लिए दिए । दर्जी ने अपने लड़के को बुलाया और उसके हाथों भी से कुछ फल हाथी को दिलवाए । फल खाकर हाथी का गुस्सा शांत हुआ और उसने दरजी के लड़के को क्षमा कर दिया फल खाकर हाथी का गुस्सा शांत हुआ । दर्जी के लड़के और हाथी की भी दोस्ती हो गई। अब हाथी दर्जी के लड़के को अपने पीठ पर बैठाकर घूमाने के लिए ले जाने लगा ।
शिक्षा- " दर्जी और हाथी की कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कभी भी किसी के साथ गलत व्यवहार नहीं करना चाहिए। "
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