शेर और बन्दर की कहानी |
बंदर और शेर की कहानी | Bandar aur Sher ki kahani -
एक जंगल में एक शेर रहता था । उसी जंगल में एक लोमड़ी भी रहती थी जो शेर की असिस्टेंट थी । लोमड़ी जंगल में जानवरों का पता लगाती थी और आकर उसकी सूचना शेर को दे देती थी | शेर बड़ा ही खूंखार और क्रूर था। वह आवश्यकता से अधिक जानवरों का शिकार करता था | शेर शिकार किये गए जानवरों में से कुछ को खा लेता था और पेट भरने पर बाकी जानवरों को वैसे ही छोड़ देता था।
इस प्रकार आवश्यकता से अधिक जानवरों का शिकार होने से जंगल के सारे जानवर खत्म हो गए। अब शेर और लोमड़ी के भूखे मरने की नौबत आ गई । शेर ने लोमड़ी से कहा कि वह जाकर जंगल के आसपास दूसरे जानवरों का पता लगाएं जिससे शेर का और लोमड़ी का दोनों का पेट भर सके।
उसी जंगल से कुछ दूरी पर एक बहुत बड़ी नदी बहती थी और नदी के बीच में एक बहुत बड़ा टापू था उस टापू पर सारे शाकाहारी जानवर जैसे हिरण खरगोश बंदर बकरी भीड़ आदि सदियों से रहते थे। नदी से घिरा होने के कारण टापू पर कोई दूसरा बाहरी जानवर नहीं आ पाता था।
लोमड़ी शेर की आज्ञा मानकर जानवरों का पता लगाने निकल पड़ी । उसे अपने जंगलमें कोई भी जानवर नहीं मिला। थक हार कर लोमड़ी नदी किनारे बैठ गई । तभी उसकी नजर दूर बने टापू पर पड़ी । लोमड़ी ने सोचा अवश्य ही इस टापू पर कुछ जानवर रहते होंगे । ऐसा सोचकर लोमड़ी तैरकर टापू पर जाकर देखती है तो वहां बहुत से शाकाहारी जानवर थे किंतु कोई भी मांसाहारी अथवा शेर को चुनौती देने वाला जानवर नहीं था।
यह देख कर लोमड़ी बहुत खुश हुई और अपने जंगल लौटकर उसने शेर को सारी बात बतलाई। लोमड़ी की बात सुनकर शेर बहुत खुश हुआ और उसने लोमड़ी को शाबाशी दी। दूसरे दिन शेर लोमड़ी के साथ उस टापू पर जानवरों का शिकार करने के लिए पहुंच गया।
टापू पर शाकाहारी जानवरों को देखकर शेर के मुंह से लार टपक रही थी । उसने एक ही दिन में बहुत सारे जानवरों को मार डाला और कुछ जानवरों को खाकर बाकी जानवरों को छोड़ दिया। शेर लगातार दो दिन इसी प्रकार शिकार किया। टापू के सारे जानवर शेर से बुरी तरह डर गए और सभी ने एक सभा बुलाई। सभा में शेर से बचने के उपाय पर चर्चा हुई । सभी ने अपने अपने सुझाव दिए।
सभा में एक बूढ़ा बंदर भी था जो अपनी बुद्धिमानी के लिए जाना जाता था। सारे जानवरों ने उस बूढ़े बंदर से सुझाव मांगा। बूढ़े बंदर ने कहा - " इस प्रकार अगर हम डरकर भागते रहे तो हम में से कोई भी नहीं बचेगा हमें सूझबूझ के साथ इस शेर का सामना करना पड़ेगा।"
जंगल के दूसरे जानवरों ने बन्दर से पूछा कि उनके पास शेर के समान ना तो बड़े दांत हैं और ना ही तेज नाखून वह शेर का सामना कैसे कर पाएंगे। बूढ़े बंदर ने कहा - " हमें आमने-सामने की लड़ाई नहीं लड़ना है बल्कि युक्ति पूर्ण तरीके से शेर को खत्म करना होगा।"
जानवरों ने बंदर से आगे की योजना बनाने के लिए बन्दर से कहा । सबके अनुरोध करने पर बंदर ने एक योजना बनाई जिससे बड़ी आसानी से शेर को मारा जा सकता था।
जंगल के सभी जानवरों ने मिलकर एक गहरा गड्ढा खोदा और उस गड्ढे को घास फूस और पत्तियों से भर दिया। जो देखने में समतल जमीन की तरह दिखाई दे रहा था। शेर के आते ही सारे जानवर गड्डे के सामने की तरफ चले गए ।
शेर ने जैसे ही जानवरों को देखा उसकी भूख जाग गई और वह जानवरों का शिकार करने के लिए उनकी तरफ भागा जैसे ही शेर गड्ढे के ऊपर से निकला घास फूस और पत्तियों के दब जाने से शेर गहरे गड्ढे में गिर गया। शेर ने और गड्ढे से निकलने का बहुत प्रयत्न किया किंतु गड्डा अधिक गहरा होने से लाख कोशिश करने के बाद भी वह गड्ढे से नहीं निकल सका।
शेर के साथ-साथ उसके पीछे भागते हुए लोमड़ी भी गड्ढे में गिर गई । भूख और प्यास से शेर और लोमड़ी दोनों की गड्ढे में ही मौत हो। इस प्रकार बंदर और जानवरों की चालाकी से उन्हें शेर से मुक्ति मिली और सभी जानवर पहले की तरह हंसी खुशी से रहने लगे।
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