जूं और खटमल की कहानी
जूं और खटमल की कहानी 

जूं और खटमल की कहानी  | Lice and Bed Bug story in hindi -


बहुत पुरानी बात है एक राजा था उसके शयन कक्ष में एक जूं रहती थी। एक दिन कहीं से एक खटमल राजा के शयन कक्ष में आ गया । खटमल को देखकर जूं को गुस्सा आ गया । जूं ने खटमल से कहा - " अरे खटमल ! तू यहां कहाँ से आ गया । अगर तुझे कोई देख लेगा तो तेरे साथ मैं भी मारी जाऊंगी।

जूं की बात सुनकर खटमल बोला - " अरे जूं ! तेरा और मेरा काम एक ही है । हम दोनों ही इंसानों का खून पी कर अपना जीवन यापन करते हैं । तू जिस तरह मेरा अपमान कर रही है इस तरह तो कोई किसी दुष्ट व्यक्ति का भी नहीं करता । "

जूं ने खटमल से पूछा - खटमल ! तु यहाँ क्यूँ आया है । "

खटमल बोला- " मैंने आज तक कई प्रकार के लोगों का खून पिया है किंतु कभी भी किसी राजा का खून नहीं पिया । अवश्य ही राजा का खून कुछ विशेष होता होगा जिसका स्वाद अलग ही होता होगा। मैं भी एक बार राजा के खून का स्वाद लेना चाहता हूं। "

जूं बोली - " सुन खटमल ! जब राजा सो जाता है मैं तभी उसका खून पीती हूं। अगर तूने मुझसे पहले राजा का खून पिया तो राजा जाग जाएगा और हम दोनों ही मारे जाएंगे। "

खटमल बोला- " अरे जूं ! तुम निश्चिन्त रहो जब राजा सो जाएगा मैं तभी उसका खून पियूँगा ।

Jun aur Khatmal ki kahani
जूं को खटमल की बातों पर विश्वास नहीं था इसलिए जूं ने खटमल से कहा - " तुम कसम खाओ की मेरे रक्तपान करने के बाद ही तुम राजा का खून पीओगे और कल तुम यहां से चले जाओगे। "

जूं के इस प्रकार जिद करने से खटमल ने जूं की सभी बातों में हामी भर दी । रात में राजा अपने शयन कक्ष में आया और दीपक वगैरह बुझा कर सो गया किंतु उसे नींद नहीं लगी थी। राजा का मीठा खून चूसने के लालच में खटमल व्याकुल हो रहा था और राजा के सोने के पहले ही उसने राजा को काट लिया।

खटमल के काटने से राजा झट से उठ गया और मंत्रियों को बुलाकर बोला- " देखो मेरे पलंग में अवश्य ही कोई जूं या खटमल है जिसने मुझे काटा है।"

राजा के सैनिकों ने तत्काल चादर उठाकर देखने लगे। खटमल अपने स्वभाव बस पलंग के पायो के जोड़ में जाकर चुप गया किंतु जूं चादर में ही छिपी रही। ऊपर होने के कारण सैनिकों ने जूं को देख लिया और उसे पकड़ कर मसल दिया । खटमल पायो के जोड़ में छुपा होने के कारण सुरक्षित बच गयाकिन्तु बेचारी जूं मारी गई ।

शिक्षा - '' जूं और खटमल की कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि विरोधी प्रवृत्ति के व्यक्ति को कभी आश्रय नहीं देना चाहिए और ना ही उसकी बातों पर विश्वास करना चाहिए।"