लालच का फल |
शिकारी, हिरण, सुअर , सांप और शियार की कहानी | Lobh Nash Ka Karan hai -
शिकारी ने सोचा इस सुअर का शिकार मैं बाद में भी कर सकता हूँ अगर इस हिरण ने मेरी आवाज सुन ली तो यह भाग जायेगा और मैं इसका शिकार नहीं कर पाऊंगा | यह सोचकर शिकारी ने हिरण पर तीर चला दिया निशाना अचूक था | तीर सीधा हिरण को लगा और उसने कुछ ही पलों में अपने प्राण त्याग दिये | शिकारी हिरण को मारकर बहुत खुश हो रहा था | उसके मन में लालच आ गया कि हिरण के सांथ अब सुअर का भी शिकार करता हूँ इससे मुझे दो गुनी आमदनी होगी |
इस तरह का विचार कर शिकारी सुअर की तलास करने लगा | उसे पास में ही सुअर दिख गया शिकारी ने सुअर पर निशाना साध कर तीर चला दिया | तीर इस बार भी सीधा शिकार को लगा | सुअर बहुत ही मट्ठर प्रजाति का जीव होता है | तीर लगने पर सुअर ने सोच लिया कि वह मरने के पहले उसे मारने वाले शिकारी को मार देगा | सुअर के शरीर से खून बह रहा था फिर भी वह शिकारी की तरफ मुड़ा और उस पर टूट पड़ा | कुछ ही पलों में शिकारी और सुअर दोनों की मृत्यु हो गई |
जो शिकारी सेकड़ों जीवों का शिकार कर चुका था आज एक शिकार के हांथो उसकी हत्या कर दी गई | शिकारी का लोभ ही उसके विनाश का कारण बना |
कहते हैं जब मृत्यु आती है तो किसी ना किसी बहाने आ ही जाती है | जब सुअर शिकारी पर हमला कर रहा था तब पास के पेड़ के नीचे एक सांप अपने बिल से बाहर निकल कर यह सब देख रहा था | शिकारी को मारने के बाद सुअर लडखडाता हुआ सांप के ऊपर गिर गया और सुअर के शरीर से दब कर उस सांप की भी मृत्यु हो गई | इस प्रकार उस छोटे से स्थान पर हिरण, शिकारी, सुअर और सांप के चार शव पड़े हुए थे |
कहते हैं जब मृत्यु आती है तो किसी ना किसी बहाने आ ही जाती है | जब सुअर शिकारी पर हमला कर रहा था तब पास के पेड़ के नीचे एक सांप अपने बिल से बाहर निकल कर यह सब देख रहा था | शिकारी को मारने के बाद सुअर लडखडाता हुआ सांप के ऊपर गिर गया और सुअर के शरीर से दब कर उस सांप की भी मृत्यु हो गई | इस प्रकार उस छोटे से स्थान पर हिरण, शिकारी, सुअर और सांप के चार शव पड़े हुए थे |
लोभ नाश का कारण है |
उसी समय एक गीदड़ वहां आ गया और एक ही स्थान पर चार-चार शवों को देखकर गीदड़ बहुत खुश हुआ और मन ही मन सोचने लगा – “ बिना परिश्रम के इतना सारा भोजन मिल गया | अवश्य ही ईश्वर मुझ पर मेहरवान है तभी तो मेरे लिए इतने सारे भोजन की व्यवस्था कर दी है | अब मुझे तरह-तरह के जीवों के मांस का स्वाद चखने के लिए मिलेगा अब तो मेरे कई दिन सुखपूर्वक इन जीवों के मृत शरीर को खाकर बीत जायेंगे|”
गीदड़ को समझ नहीं आ रहा था वो पहले किसे खाए | कभी तो वह शिकारी का मांस खाना चाहता तो कभी हिरण का तो कभी सुअर का फिर उसने निश्चय किया कि पहले शिकारी का मांस खाया जाए उसने कभी इंसान का मांस नहीं गया था, इसके बाद हिरण उसके बाद सांप का और अंत में सुआर का मांस खायेगा | इस तरह उसका एक माह बीत जायेगा |
शिकारी के धनुष को देखकर गीदड़ उत्सुकता वश धनुष के पास गया | धनुष की डोरी चमड़े की थी | गीदड़ चमड़े को चबाने प्रयास करने लगा | गीदड़ के चबाने से डोरी कमजोर हो गई और टूट गई | डोरी के टूटने से धनुष का एक सिरा बड़ी तेजी से उसके माथे को भेदकर बाहर आ गया मानो माथे से शिखा निकल आई हो | इस प्रकार गीदड़ का लोभ उसके नाश का कारण बन गया |
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