मूर्ख मंडली |
मूर्ख मण्डली | Murkh Mandali
बहुत पुरानी बात है एक पहाड़ी क्षेत्र में एक वृक्ष पर सिन्धुक नामक पक्षी रहता था | उस पक्षी के मल में स्वर्ण-कण होते थे | सिन्धुक को इस बात का बहुत अभिमान था | एक दिन उस जंगल में एक शिकारी आया | शिकारी अपने रास्ते से जा रहा था जाते हुए रास्ते में उसे सिन्धुक पक्षी दिखा | शिकारी पक्षी को अनदेखा करके अपने रास्ते जाने लगा | सिन्धुक पक्षी को यह अच्छा नहीं लगी कि कोई उसे इस तरह नजरअंदाज कर दे | उसने शिकारी के ऊपर मल त्याग दिया | शिकारी को पक्षी के मल में स्वर्ण कण मिले | शिकारी ने स्वर्ण कणों के लालच में जाल फैलाकर पक्षी को पकड़ लिया |
शिकारी उस पक्षी को अपने घर ले आया और उसे एक पिंजरे में बंद कर दिया | सिन्धुक पक्षी जब भी मल त्यागता शिकारी उनमें से स्वर्ण कण अलग कर लेता और उन्हें बाजार में बेंच देता था इस प्रकार उसकी दरिद्रता दूर होने लगी थी | तभी शिकारी के मन में विचार आया कि अब लोग उससे जलने लगे हैं अगर किसी ने राजा को इस पक्षी के बारे में बतला दिया तो राजा उसे बुलवा लेगा और शायद दण्डित भी करे | अपने इस डर के कारण शिकारी सिन्धुक पक्षी को लेकर राजा के सामने पेश हो गया और उसे पूरी बात बतला दी |
शिकारी और पक्षी की कहानी |
राजा ने भी अपने जीवन में इस तरह के पक्षी को पहली बार देखा था उसने पहले तो पक्षी को सुरक्षित राज भवन में रखने का आदेश दिया किन्तु राजा के मंत्रियो ने उसे सलाह दी – “ महाराज ! इस शिकारी की बातों में ना आईये | भला कोई पक्षी स्वर्ण कण युक्त मल त्याग कर सकता है क्या ? इस पक्षी को राज भवन में रखने से लोग हमारा उपहास उड़ायेंगे |”
राजा को मंत्री की बात उचित लगी | उसने सिन्धुक पक्षी को आजाद कर दिया और शिकारी को जाने दिया | जाते-जाते सिन्धुक पक्षी राज्य के प्रवेश द्वार पर बैठ गया और स्वर्ण कण युक्त मल त्याग कर दिया और जाते हुए कहता गया –“ पहले तो मै मूर्ख था जिसने अपने घमण्ड में शिकारी के ऊपर स्वर्ण कण युक्त मल त्याग दिया, फिर शिकारी भी मूर्ख था जो डर के कारण मुझे राजा के पास ले आया और इस राज्य का राजा भी मूर्ख निकला जिसने बिना सोचे समझे अपने मूर्ख मंत्रियों की सलाह मान कर मुझे छोड़ दिया | इस राज्य में सभी मूर्ख हैं इसे ही कहते हैं मूर्ख मण्डली |”
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