मुर्ख मित्र |
मूर्ख मित्र - राजा और बन्दर की कहानी | Murkh Mitra -
एक राजा था उसके राज महल में एक बन्दर रहता था | बन्दर राजा की सेवा करता और उसके अन्तःपुर में ही निवास करता था | राजा जब भी कहीं जाता बन्दर को अपने सांथ ले जाता था | इस प्रकार बन्दर राजा का बहुत विश्वास पात्र सेवक बन गया | एक बार गर्मी के दिनों में राजा सो रहा था और बन्दर पंखा हिलाकर राजा को हवा कर रहा था |
तभी कहीं से उडती हुई एक मक्खी राजा के शरीर पर आकर बैठ गई | बन्दर ने उसे भगाया किन्तु मक्खी फिर वापस राजा के ऊपर बैठ गई | बन्दर बार-बार मक्खी को भगाता और मक्खी कभी राजा की नाक पर, कभी माथे पर तो कभी छाती पर आकर बैठ जाती |
बन्दर को अत्यधिक क्रोध आ रहा था | इस बार बन्दर ने क्रोध में एक तलवार उठा ली और जैसे ही मक्खी राजा की गर्दन पर बैठी बन्दर ने पूरी ताकत से मक्खी पर तलवार चला दी मक्खी तो उड़ गई पर राजा का सर धड़ से अलग हो गया और राजा की मौत हो गई |
शिक्षा – " राजा और बन्दर की मूर्ख मित्र कहानी से शिक्षा मिलती है कि मूर्ख मित्र से विद्वान शत्रु ज्यादा अच्छा होता है | "
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