ऊँट की कहानी
घमण्डी ऊंट की पंचतन्त्र कहानी | Camle panchtantra story in hindi -
बहुत पुरानी बात है एक गांव में एक कारीगर रहता था | वह अत्यंत गरीब था उसके पास एक टूटा फूटा घर था परन्तु जमीन नहीं थी | वह बहुत मेहनत करता था किंतु उसे इतने पैसे नहीं मिल पाते थे कि वह अच्छे से अपना घर चला सके | गरीबी से तंग आकर कारीगर ने सोचा कि यह गांव छोड़ दूं और किसी दूसरे शहर जाकर वहां नया काम धंधा शुरू करूं | कारीगर जब अपना गांव छोड़कर जंगल के रास्ते शहर जा रहा था तब उसे रास्ते में एक बीमार ऊंटनी दिखी | ऊंटनी का एक छोटा सा बच्चा भी था जो ऊंटनी के आसपास घूम रहा था | कारीगर ने जब ऊँटनी की यह हालत देखी तो उसे ऊंटनी और उसके बच्चे पर दया आ गई | कारीगर ऊंटनी और उसके बच्चे को अपने सांथ लेकर वापस अपने गांव घर आ गया और उसने जड़ी बूटियों से ऊंटनी का इलाज किया | जंगल से पत्तों भरी हरी-भरी कोंपलों वाली शाखाएं काटकर ऊंटनी को खिलाईं । ऊंटनी कुछ दिनों में ही ठीक हो गई। अब कारीगर के बच्चे और ऊंटनी का बच्चा ऊंटनी का दूध पीकर बड़े होने लगे। कारीगर ऊंटनी का दूध ले जाकर शहर में बेच देता था | धीरे धीरे ऊंटनी का बच्चा बड़ा हो गया | कारीगर ने ऊंटनी के बच्चे के गले में घंटी बाँध दी जिससे वह कहीं भी जाता तो घंटी की आवाज से उसका पता चल जाता था कि वह किधर है | गले में घंटी बंधे होने से ऊँट का नाम घंटाधर पड गया |
ऊंटनी का बच्चा बड़ा होने पर कारीगर की माल ढुलाई का काम करने लगा | जिससे कारीगर की आर्थिक स्थिति में बहुत सुधार हुआ | कारीगर ने दूसरे गांव जाकर एक ऊंटनी और खरीद ली | कुछ ही दिनों में कारीगर के पास बहुत से ऊंट-ऊंटनी और उनके बच्चे हो गए | इससे कारीगर का व्यापार चल पड़ा | कारीगर ने अपने यहां काम करने के लिए कुछ मजदूर लगवा लिए और नया घर बनवा लिया |
घमण्डी ऊँट की पंचतंत्र कहानी |
कारीगर घंटाधर से बहुत प्यार करता था इसिलए वह दूसरे ऊँट-ऊंटनी की तुलना में उसे विशेष महत्व देता था | इधर घंटाधर को घमंड हो गया कि वह दूसरे ऊंट-ऊंटनी से अलग है | वह अपने आप को दूसरों से विशेष समझने लगा | घंटाधर जब भी पत्ते खाने के लिए जंगल जाता तो दूसरे ऊँटो से अलग हो जाता था | इस प्रकार घंटाधर के घमंड के कारण वह सबसे अलग-थलग रहने लगा।
घंटाधर को दूसरे ऊंटों ने कई बार समझाया कि यह घंटा उतार दे, इस घंटे की आवाज के कारण जंगल के खूंखार जानवर तुझे दूर से ही पहचान जाते हैं | लेकिन वह सोचता था कि उसका मालिक सबसे ज्यादा उसी से प्यार करता है इसीलिए दूसरे ऊँट उससे जलते हैं और जलन के कारण वह ऐसा कहते हैं | घंटाघर के घंटे की आवाज के कारण जंगल का शेर हमेशा उसकी स्थिति को भांप जाता था लेकिन ऊँटो के झुण्ड में रहने के कारण उस पर हमला नहीं कर पाता था |
एक दिन सभी ऊँट जंगल से पत्ते खाकर वापस लौट रहे थे | घंटाधर अपनी ही मस्ती और घमण्ड के कारण जंगल में सबसे अलग चल रहा था और दूसरे ऊँटो से बहुत दूर हो गया | शेर ने घंटाघर के घंटे की आवाज से उसका पीछा किया और उसे अकेला पाकर उस पर झपट्टा मार उसका शिकार कर लिया। इस प्रकार घंटाधर ऊँट अपने घमण्ड के कारण मारा गया |
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