Bado ki Bat |
ब्राम्हण और केकड़े की कहानी ( बड़ों की बात मनानी चाहिए )-
किसी समय की बात है एक गाँव में एक ब्राम्हण रहता था | उसकी माँ बहुत बूढी हो गई थी | बूढी माँ अपने पुत्र को बहुत प्यार करती थी और ब्राम्हण पुत्र भी अपनी माँ की हर बात मानता था | एक दिन ब्राम्हण को पूजा-पाठ कराने पास के ही दूसरे गाँव जाना था | ब्राम्हण ने यह बात अपनी माँ को बतलाई | बूढी माँ बोली– “ बेटा ! बाहर जा रहे हो अकेले मत जाना | किसी को अपने सांथ ले जाना |”
ब्राम्हण अपनी माँ से बोला – “माँ ! मै हमेशा ही उस गाँव में जाता रहता हूँ और रास्ते में कोई परेशानी नहीं होती | तुम व्यर्थ ही परेशान हो रही हो|घबराओ नहीं मैं शाम तक लौट कर आ जाऊंगा |“
ब्राम्हण पुत्र जाना तो अकेला चाहता था परन्तु वह अपनी माँ की बात की अवहेलना भी नहीं करना चाहता था | वह घर से निकल गया और जैसे ही गाँव से लगी नदी के पास पहुंचा एक केकड़ा उसके पैर के नीचे दबते-दबते बच गया | ब्राम्हण को लगा अगर यह केकड़ा रास्ते में यूँ ही घूमता रहा तो किसी और के पैर के नीचे आ जायेगा | ब्राम्हण को अपनी माँ की बात याद आई कि अकेले मत जाना | ब्राम्हण ने सोचा इस केकड़े को अपने सांथ लिए चलता हूँ | उसने अपनी पोटरी से एक खाली डिबिया निकाली और उस केकड़े को डिबिया में रख लिया | इस प्रकार ब्राम्हण ने अपनी माँ की बात भी रख ली अब वो एक से दो हो गए | ब्राम्हण अपने रास्ते चल दिया |
गर्मी के दिन थे और धूप बहुत तेज थी | चलते चलते ब्राम्हण थक गया तो आराम करने के लिए एक पुराने बड़े पेड़ के नीचे लेट गया | उसे कब नींद लग गई पता ही नहीं चला | उसी पेड़ के कोटर में एक काला सांप रहता था | ब्राम्हण की पोटरी में पूजा-पाठ की सामग्री थी जिससे सुगन्धित पूजन सामग्री की खुशबू आ रही थी | काला सर्प अपने कोटर से निकल कर पोटरी में घुस गया और उसमें रखी सामग्री में खाने की सामग्री ढूँढने लगा जिससे पोटरी में रखा सामान गिर गया और केकड़े की डिबिया भी खुल गई | सांप जैसे ही केकड़े को खाने के लिए आगे बढ़ा केकड़े ने अपने नुकीले डंक सांप की गर्दन में फंसा कर गड़ा दिये | केकड़े के द्वारा अचानक किये हमले से सांप संभल नहीं पाया और वहीँ मर गया |
Bramhan aur Kekda |
कुछ देर बाद जब ब्राम्हण की नींद खुली तो उसने अपने आस-पास सामान बिखरा पाया और पास में ही उसे मृत सांप दिखलाई दिया जिसकी गर्दन ने डंक के निशान थे और पास में ही केकड़ा घूम रहा था |
ब्राम्हण समझ गया की इस सांप को केकड़े ने मारा है और केकड़े के कारण आज उसकी जान बच गई | तभी उसे अपनी माँ की बता याद आई कि कहीं अकेले मत जाना | ब्राम्हण ने अपनी जान बचाने के लिए केकड़े का धन्यवाद दिया और वापस जाते समय नदी के पास छोड़ दिया |
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