Teetar , Khargosh aur Bilav Ki Khani
Teetar Ki Kahani

तीतर, खरगोश और बिलाव की कहानी | नीच का न्याय  -

बहुत समय पहले की बात है एक बड़े पीपल के पेड़ की खोह में कपिंजल नाम का तीतर रहता था | कपिंजल प्रतिदिन भोजन की तलाश में बाहर जाता और शाम तक अपनी खोह में आ जाता था |

एक दिन की बात है तीतर भोजन की तलाश में बहुत दूर निकल गया | वहां उसे अच्छा और पोस्टिक भोजन मिल रहा था तो तीतर  कुछ दिन वहीँ रुक गया, इसी बीच शीगो नाम का एक खरगोश आया और तीतर की खोह में रहने लगा  |

कुछ दिन बाद जब तीतर हष्ट-पुष्ट होकर वापस लौटा तो उसने अपने घर में खरगोश को देखा | तीतर खरगोश पर बहुत नाराज हुआ और खरगोश पर चिल्लाते हुए बोला – ‘‘ यह घर मेरा है, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे घर में घुसने की | तुम तत्कात मेरा घर खाली करो अन्यथा मुझसे बुरा कोई नहीं होगा |”

खरगोश को तीतर की बातों पर गुस्सा आ गया और अपनी अकड़ दिखलाते हुए खरगोश बोला- “ तुम कभी इस घर में रहते होगे ये घर उस समय तुम्हारा होगा परन्तु अब तो इसमें मैं रह रहा हूँ तो ये घर मेरा हुआ | तुम्हे जो करना है कर लो, मैं ये घर खाली नहीं करूँगा |”

इस प्रकार दोनों में तू-तू मैं-मैं होने लगी | अंत में कोई हल ना निकलता देख दोनों ने निर्णय लिया कि कसी धर्मात्मा के पास चलें वही दोनों का उचित न्याय करेगा और दोनों ही उसकी बातें मानेंगे | 

पास में ही एक जंगली बिलाव भोजन की तलाश में घूम रहा था उसने खरगोश और तीतर की बातें सुन लीं और मन ही मन सोचने लगा की यदि मैं इन दोनों के बीच मध्यस्त बन गया तो दोनों के पास आने का मौका मिल जायेगा और मैं बड़ी ही आसानी से दोनों को मारकर खा सकता हूँ | इतना विचार कर वह एक ऊँचे टीले पर बैठकर, हाँथ में माला लेकर जप करने का ढोंग करने लगा | खरगोश और तीतर ने जब जंगली बिलाव को जप करते देखा तो दोनों ने उसे धर्मात्मा समझ कर उससे न्याय कराने की बात सोची | 

 

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Neech Ka Nyay

  दोनों उसे देखकर डर रहे थे परन्तु दोनों ने उसे धर्मात्मा जानकर अपनी समस्या बतलाई और न्याय करने के लिए कहा | जंगली बिलाव तो यही चाह रहा था | उसने तत्काल हामीं भर दी और बोला- “  लगता है आप दोनों मुझसे डर रहे हो, मुझे सन्यास लिए हुए कई साल हो गए है और मैंने हिंसा का मार्ग पूरी तरह से त्याग दिया है | अब तो मेरी उम्र हो गई है और मैं तो प्रभु की भक्ति में ही लीन रहता हूँ | वृद्ध होने से मुझे कम सुनाई देने लगा है | अगर आप दोनों मेरे पास  आकर अपनी बात रखेंगें तो मैं अच्छी तरह सुन पाऊंगा और सही न्याय कर पाऊंगा |”

खरगोश और तीतर ने जंगली बिलाव की बातों पर भरोसा कर लिया और दोनों उसके पास जाकर अपनी समस्या बतलाने लगे | जंगली बिलाप ने मौका पाकर दोनों पर झपट्टा मारा और दोनों को मारकर खा गया |

शिक्षा – “ तीतर , खरगोश और बिलाव की कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि घटिया और नीच की बातों पर कभी भरोसा नहीं करना चाहिए ना ही उससे न्याय की उम्मीद करनी चाहिए |”