Sher aur Murkh Gadha |
शेर और मूर्ख गधा | Sher aur Murkh Gadha -
एक समय की बात है जंगल में एक शेर रहता था उसका नाम करालकेशर था | उसी जंगल में घूसरक नाम का गीदड़ भी रहता था जो शेर का सेवक था | गीदड़ शेर की सेवा करता और शेर के द्वारा किये गए शिकार से जो कुछ बचता उसे खाकर अपना पेट भरता था | एक बार शेर की एक हाथी से लड़ाई हो गई जिसमें शेर का पैर टूट गया था और वह जानवरों का शिकार करने में असमर्थ हो गया | अब शिकार के बिना शेर और गीदड़ दोनों का पेट नहीं भरता था और दोनों कई दिनों से भूखे थे |अपनी यह हालत देख शेर ने गीदड़ से कहा कि वह किसी भी जानवर को अपनी बातों में फंसाकर यहाँ लेकर आये , जिससे शेर जानवर को आसानी से मार कर उसका शिकार कर सके |
शेर का आदेश पाकर गीदड़ किसी जानवर की तलाश में गाँव की तरफ निकल गया | गाँव के पास उसे एक लम्बकर्ण नाम का गधा मिला | गीदड़ ने सोचा - “ आज अच्छा मौका मिला है, गधा वैसे ही मूर्ख होता है इसे आसानी से फंसाया जा सकता है | “
इतना सोचकर गीदड़ गधे के पास गया और उसका हाल-चाल जानने के बहाने उससे दोस्ती कर ली और गीदड़ ने गधे से कहा - “ अरे भाई , आप तो बहुत दुबले-पतले हो लगता है आपका मालिक आपसे दिन-भर काम करवाता है और खाने के लिए भी कुछ नहीं देता | ऐसा भी कहीं होता है क्या |”
गीदड़ की बात सुनकर गधा बोला- “ हाँ भाई, मेरा मालिक मुझसे दिन भर काम करवाता है और थोडा बहुत जो कुछ मिल जाता है उसी से अपना पेट भरता हूँ |”
गधे की बात सुनकर गीदड़ बोला- “ भाई मैं तुम्हें ऐसी जगह ले चलता हूँ जहाँ हरे-भरे घांस के मैदान हैं, स्वच्छ नदियों का पानी और तरह तरह के फल हैं जिन्हें खाकर तुम जल्द ही हट्टे-कट्टे हो जाओगे और तुम्हें अपने मालिक की गुलामी से आजादी भी मिल जाएगी और वहां तुम एक आजाद जिन्दगी का मजा लेना |”
गधा बोला- “ तुम सही कह रहे हो परन्तु मैं तो ठहरा पालतू जानवर, जंगल में कभी नहीं रहा हूँ , जंगल में कोई भी जंगली जानवर मुझे मार कर खा जायेगा |”
गीदड़ को लगा अगर में थोडा सा और प्रलोभन दूं तो गधा मेरे जाल में फंस जायेगा | यह सोचकर गीदड़ बोला- “ अरे भाई तुम्हे जंगल में किसी से डरने की जरुरत नहीं है क्यूंकि उस जंगल में मेरा राज चलता है | मेरे रहते कोई तुम्हारा कुछ नहीं बिगड़ सकता | मैंने तुम्हारे जैसे कई गधों को उनके मालिकों के अत्याचारों से मुक्ति दिलाई है और वो सभी जंगल में आनंद से अपना जीवन जी रहे हैं | इसी जंगल में एक गधा और भी है जो मेरा दोस्त है उसकी एक सुन्दर सी कन्या है | मेरे दोस्त ने मुझे उसकी कन्या के लिए योग्य वर ढूँढने का कार्य दिया है | मुझे तुम्हारे बारे में पता चला तो मैं तुम्हारी तलाश में यहाँ तक चला आया हूँ | अगर तुम चाहो तो मेरे सांथ चल सकते हो |”
गीदड़ को लगा अगर में थोडा सा और प्रलोभन दूं तो गधा मेरे जाल में फंस जायेगा | यह सोचकर गीदड़ बोला- “ अरे भाई तुम्हे जंगल में किसी से डरने की जरुरत नहीं है क्यूंकि उस जंगल में मेरा राज चलता है | मेरे रहते कोई तुम्हारा कुछ नहीं बिगड़ सकता | मैंने तुम्हारे जैसे कई गधों को उनके मालिकों के अत्याचारों से मुक्ति दिलाई है और वो सभी जंगल में आनंद से अपना जीवन जी रहे हैं | इसी जंगल में एक गधा और भी है जो मेरा दोस्त है उसकी एक सुन्दर सी कन्या है | मेरे दोस्त ने मुझे उसकी कन्या के लिए योग्य वर ढूँढने का कार्य दिया है | मुझे तुम्हारे बारे में पता चला तो मैं तुम्हारी तलाश में यहाँ तक चला आया हूँ | अगर तुम चाहो तो मेरे सांथ चल सकते हो |”
Sher aur Murkh Gadha |
गधा सियार की बातों में आ गया और सियार के सांथ खुशी-खुशी जंगल की तरफ चल दिया और जंगल पहुंचकर गधे को चुपके से शेर के पास ले गया | जैसे ही गधा शेर के पास पहुंचा शेर गधे की तरफ झपटा और गधे पर एक जोरदार पंजा मारा लेकिन गधा शेर के पंजे से बच गया और तेजी से वहां से भाग गया | शेर लंगड़ा होने के कारण उसका पीछा भी नहीं कर पाया | गीदड़ शेर के पास आया और बोला- “ महाराज , अब आपका पंजा भी बेकार हो गया है जो एक गधे का शिकार भी नहीं कर सकता |”
शेर खुद को बहुत लज्जित महसूस कर रहा था | शेर बोला- अभी मैं पूरी तरह तैयार भी नहीं था और अचानक गधा आ गया और मेरा पैर टूटा होने के कारण मैं उस पर छलांग भी सका |”
गीदड़ बोला – “ आप चिंता मत करों मैं फिर से उस गधे को लेकर आऊंगा लेकिन इस बार आप पूरी तरह से तैयार रहना | “
गीदड़ की बात सुनकर शेर बोला – “ वह गधा बड़ी मुस्किल से यहाँ से अपनी जान बचाकर भागा है , भला वह दुबारा यहाँ क्यूँ आएगा ?"
गीदड़ बोला- “ आप इसकी चिंता ना करें मैं प्रयत्न करता हूँ | वह ठहरा गधा शायद दुबारा जाल में फंस जाए |”
गीदड़ पुनः उस स्थान पर जाता है और देखता है कि गधा उसी स्थान पर घास चर रहा है | जैसे ही गीदड़ गधे के पास जाता है गधा गीदड़ पर अपना गुस्सा निकलते हुए कहता है – “ तुम तो बड़ी-बड़ी बात कर रहे थे कि जंगल में तुम्हारा राज चलता है | कल तो तुमने मरवा ही दिया था , पता नहीं वो कौन सा जंगली जानवर था, अगर मैं एक क्षण की भी देरी कर देता तो उसके पंजे के एक ही प्रहार से मेरे प्राण निकल जाते |”
गधे की बात सुनकर गीदड़ बोला – “ अरे भाई तुमने पूरी बात जानी ही नहीं और डर कर वहां से आ गए, दरअसल यह वही गधी ( गर्दभी ) थी जिससे मैं तुम्हारा विवाह करवाना चाहता था , वह तुम्हें देख कर बहुत खुश हो गई थी और तुम्हारी तरफ दोस्ती का हाँथ बढाया था और तुम किसी खूंखार जंगली जानवर का हाँथ समझ कर वहां से भाग आये |”
गीदड़ की बात से गधा असमंजस में पड़ गया और गधा बोला- “ भाई गीदड़ ! अगर वह सच में गधी ( गर्दभी ) थी तो वह तो बहुत ही हष्ट-पुष्ट होगी |”
गीदड़ समझ गया कि गधा फिर से आसानी से उसके जाल में फंस जाएगा | वह मन ही मन प्रसन्न होकर बोला- “ हाँ भाई ! आपने सही सोचा, वह हष्ट-पुष्ट के सांथ बहुत सुन्दर भी है और तुम्हें देखकर तुम पर मोहित हो चुकी है और कहती है कि वह सिर्फ तुमसे ही विवाह करेगी और अगर तुमसे उसका विवाह नहीं हुआ तो वह जिन्दगी भर विवाह नहीं करेगी |”
गधा इस बार फिर से गीदड़ की बातों में आ गया और पुनः गीदड़ के सांथ जंगल की तरफ चल दिया | इस बार शेर घात लगाकर बैठा था और जैसे ही गधा पास पहुंचा शेर ने मौका नहीं गवांया | शेर के पंजो के कुछ ही प्रहार से गधे के प्राण निकल गए | बार-बार चेतावनी मिलने पर भी गधा अपनी मूर्खता के कारण मारा गया |
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