Sher Aur Gidad ke bachche ki kahani |
शेर और गीदड़ के बच्चे की पंचतन्त्र कहानी | Sher Aur Gidad ke bachche ki kahani -
बहुत पुरानी बात है किसी जंगल में शेर-शेरनी और उनके दो बच्चे रहते थे | शेर शिकार कर लाता था और उससे पूरा परिवार अपना पेट भरता था | एक दिन की बात है जंगल में बहुत भटकने के बात के बाद भी कोई शिकार नहीं मिला | शेर उदास होकर अपने घर जा रहा था तभी उसे गीदड़ का एक बच्चा मिला | गीदड़ के बच्चे की मासूमियत देखकर शेर को उस पर दया आ गई | शेर ने गीदड़ के बच्चे को नहीं मारा और उसे अपने सांथ ले आया | घर आकर शेर शेरनी से बोला – “ आज मुझे जंगल में कोई शिकार नहीं मिला | रस्ते में मुझे यह गीदड़ का बच्चा मिल गया और मुझे इसे मारने का मन नहीं किया इसीलिए इसे अपने सांथ ले आया | अगर तुम्हें भूख लग रही हो तो इसे मारकर खा सकती हो |”
शेरनी को भी गीदड़ के बच्चे पर दया आ गई और शेरनी बोली – “ जिसे आपने जीवन दान दिया हो उसे हम कैसे खा सकते हैं , इस गीदड़ के बच्चे को हम अपने बच्चों के समान रखेंगें |”
अब शेर और शेरनी गीदड़ के बच्चे को अपने बच्चे की तरह पालने लगे | गीदड़ का बच्चा शेर के बच्चों के सांथ खेलता और शेरनी का दूध पीकर बड़ा होने लगा | एक दिन शेर और गीदड़ के बच्चे खेल रहे थे तभी वहां एक बड़ा सा हाथी वहां आ गया | उसे देख कर शेर के दोनों बच्चे हाथी की तरफ लपके और उसे गुर्राने लगे | शेर के बच्चों को ऐसा करते देख गीदड़ का बच्चा डर गया और शेर के बच्चों से बोला- “ यह हाथी बहुत बड़ा है उससे दूर रहने में भलाई है , तुम्हें भी इससे दूर रहना चाहिए नहीं तो यह हमें मार देगा |”
Sher Aur Gidad ke bachche ki kahani |
इतना कहकर गीदड़ का बच्चा वहां से भाग गया , गीदड़ के बच्चे को घगता देख शेर के बच्चों का मनोवल टूट गया और वो भी वापस आ गए | घर आकर शेर के बचों ने गीदड़ के बच्चे की कायरता पर बहुत बुरा-भला कहा और उसका मजाक उड़ाया | शेर के बच्चों की बात सुनकर गीदड़ के बच्चे को गुस्सा आ गया और वह भी उन्हें भला बुरा कहने लगा | शेरनी बच्चों की इस लड़ाई को सुन रही थी | शेरनी उनके पास आकार बोली- “ तुम लोगों का इस तरह आपस में लड़ना ठीक नहीं है और तुम्हें आपस में मिलकर रहना चाहिए |”
शेरनी के समझाने पर गीदड़ का बच्चा और भड़क गया और बोला- “ पराक्रम और बल में मैं इनके अधिक हूँ और ये मेरा ही मजाक उड़ा रहें है | मुझे और अधिक गुस्सा दिलाया तो मैं इन्हें मार दूंगा|”
गीदड़ के बच्चे की इस प्रकार की बातें सुनकर शेरनी को हंसी आ गई और वह गीदड़ के बच्चे को एकांत में ले गई और बोली- “ तुमको मैंने अपना दूध पिलाकर बड़ा किया है परन्तु तुम एक गीदड़ के बच्चे हो , तुम कितने ही शक्तिशाली क्यों न हो परन्तु जिस कुल में तुम जन्मे हो उसमें हाथी नहीं मारे जाते | “
शेरनी की बातें सुनकर गीदड़ का बच्चा बहुत डर गया और अब वह अपने गीदड़ों के परिवार और अपने कुनवे के सांथ रहना चाहता था | उसने यह बात शेर और शेरनी को यह बात बतलाई | शेर और शेरनी ने उसके परिवार और माता पिता का पता लगाया और वो उसे उसके माता पिता के पास छोड़ने गए | शेर और शेरनी दूर टीले पर खड़े रहे और गीदड़ का बच्चा अपने माँ-बाप और अपने कुनवे से जाकर मिल गया | गीदड़ का बच्चा भी उसे जन्म देने वाले माँ बाप से मिलकर बहुत खुश था और उसके माता-पिता और रिश्तेदार भी उससे मिलकर बहुत खुश हुए |
1 टिप्पणियाँ
Thank you for sharing this post here. it's a fantastic resource.
जवाब देंहटाएंNice Post