Hathi aur chidiya ki kahani
Hathi Aur Chidiya Ki Kahani


दुष्ट हाथी, चिड़िया और मेंढक की कहानी | एक और एक ग्यारह -

एक जंगल था  उसमें  बहुत से जानवर रहते थे | उसी जंगल में एक मदमस्त हाथी भी रहता था | हाथी बहुत बलवान था उसे अपनी शक्ति का बहुत घमंड था | जंगल के सारे जानवर यहाँ तक की शेर भी उससे बहुत डरते थे | अपनी शक्ति के घमंड में हाथी किसी भी जानवर को परेशान करता रहता था | वह कभी किसी जानवर  का घर तोड़ देता तो कभी किसी को मार –मर का अधमरा कर देता था | जंगल के सारे जानवर उस हाथी से बहुत परेशान थे |

उसी जंगल में एक वृक्ष के ऊपर घोंसले में एक चिड़िया और एक चिरौटा रहते थे | एक बार चिड़िया ने अंडे दिए और उन अन्डो पर बैठकर अपनी गर्मी से गर्माहट दे रही थी , पास में ही चिरौटा बैठा हुआ चिड़िया से बातें कर रहा था | तभी हाथी वहां आया और पेड़ की छाया में बैठ गया | कुछ देर बाद उसे ना जाने क्या हुआ , हाथी ने अपनी सूंड से वृक्ष को पकड लिया और जोर जोर से हिलाने लगा |  हाथी के ऐसा करने से चिड़िया का घौसला नीचे गिर गया और उसके अंडे टूट गए |  यह सब देख चिड़िया और चिरौटा को बहुत दुःख और और वो विलाप करने लगे |

हाथी के वहां से जाने के बाद कठफोड़वा वहां आ गया और चिड़िया और चिरौटा को धीरज बंधाने  लगा | लेकिन कठफोड़वा की बातों का उन पर कोई असर नहीं हुआ | चिड़िया ने दुखी होकर कहा –“ हम इस घमंडी हांथी से बदला लेना चाहते हैं ,  यदि  तुम हमारे मित्र हो तो इस हाथी से बदला  लेने में हमारी सहायता करनी होगी |”

कठफोड़वा बोला – “ मैं अवश्य ही तुम्हारी सहायता करूँगा , परन्तु हाथी से बदला लेने के लिए हमें कुछ और लोगों से भी सहायता लेनी होगी, मेरे जान पहचान की एक मक्खी है , वह बहुत होशियार है , हमें उसके पास चलना चाहिए | “

वे सभी मिलकर मक्खी के पास पहुंचे | मक्खी ने भी उनके आने का कारण  पूछा तो उन्होंने अपनी दुःख भरी कहानी बतलाई | उनकी बातें सुनकर मक्खी भी उनके  सांथ सहयोग के लिए तैयार हो गई और मक्खी बोली – “ यह कार्य बहुत कठिन है हमें इस कार्य में अपने मित्र मेढ़क की सलाह और सहायता की भी जरुरत पड़ेगी |”

मक्खी की बात सुनकर सभी मेंढक के पास पहुंचे और मेंढक से सहायता मांगी| मेंढक भी उनकी सहायता के लिए तैयार हो गया | फिर मेंढक ने एक योजना बनाई और सभी को योजना पसंद आई और योजना पर अमल शुरू कर दिया गया |

योजना अनुसार एक दिन हाथी खाना खाकर  मदमस्त होकर आराम कर रहा था , तभी मक्खी उसके कानो के पास जाकर मधुर गीत गाने लगी | हाथी गाने सुनकर इतना मस्त हो गया कि  अपनी आँखे बंद कर झूमने लगा | तभी रणनीति के तहक कठफोड़वा वहां आया और हाथी की दोनों आँखों में चोंच मार दी जिससे हाथी को कुछ समय के लिए  दिखना बंद हो गया | अब हाथी घबरा कर इधर उधर भागने लगा | पास में ही मेंढक एक बहुत बड़े गड्डे में छिपकर बैठा था और जोर जोर से टर्राने लगा | हाथी को लगा मेंढक टर् रहें है , जरुर पास में ही तालाब होगा | वो तालाब के पानी में अपनी आँखें  धोना चाहता था जिससे उसे दोबारा दिखने लगे और वो जैसे ही मेंढक की आवाज के पास गया एक बड़े  से गड्डे में गिर गया | अब वो लाख प्रयत्न करने के बाद भी गड्डे से नहीं निकल पा रहा था और उसे कुछ दिखलाई भी नहीं दे रहा था |

तभी चिड़िया बोली – “ अरे हाथी ! तुम्हें अपनी ताकत का बहुत घमंड था | देखो हमारे जैसे छोटे-छोटे जीवों ने तुम्हे  यहाँ तक ला दिया है  | अब तुम इसी गड्डे में भूके प्यासे रहना अब तुम्हारी कोई मदद नहीं करेगा क्यूंकि तुमने सबको बहुत परेशान किया है |”

हाथी को अपनी गलती का अहसास हुआ और वह चिड़िया से माफ़ी मांगने लगा , पर चिड़िया उसे माफ़ करने के लिए तैयार नहीं थी | इतनी देर में जंगल के दूसरे  भी हाथी की आवाज सुनकर वहां आ गए  | हाथी बार- बार चिड़िया और दूसरे जानवर जिन्हें उसने परेशान किया था सभी से माफ़ी मांगने लगा | अंत में चिड़िया और  जानवरों को उस पर दया आ गई और सभी ने मिलकर हाथी को उस बड़े से गड्डे से निकाल लिया |

गड्डे से निकलकर हाथी ने सभी को धन्यवाद दिया और भविष्य में कभी किसी जानवर को परेशान ना करने का वादा किया | इसके बाद उस हाथी ने कभी भी किसी जीव  को छोटा या कमजोर समझकर उसे परेशान नहीं किया और जंगल के सभी जानवर आनंदपूर्वक उस जंगल में रहने लगे |

शिक्षा - हाथी और चिड़िया की कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि एकता में बड़ी शक्ति होती है , एक सांथ मिलकर बड़े से बड़े कार्य को बहुत  ही आसानी से किया जा सकता है, इसीलिए कहते हैं एक और एक ग्यारह होते हैं |