Chidiya chug gai khet |
अब पछताए होत का जब चिड़िया चुग गई खेत | Ab Pachtaye hot ka jab Chidiya chug gai khet -
अब पछताए होत का जब चिड़िया चुग गई खेत मुहावरे का अर्थ -
अब पछताए होत का जब चिड़िया चुग गई खेत का अर्थ होता है समय निकल जाने के बाद पछताने से क्या लाभ ? अर्थात समय निकल जाने के बाद पछताना व्यर्थ है |
हर कहावत अथवा मुहावरे से जुड़ी कुछ ना कुछ कहानी अवश्य होती है | हमने भी अब पछताए होत का जब चिड़िया चुग गई खेत कहावत के संबंध में एक कहानी सुनी थी जो इस प्रकार है -
अब पछताए होत का जब चिड़िया चुग गई खेत कहानी -
एक किसान था उसके पास थोड़ी सी जमीन थी | किसान खूब लगन और मेहनत से खेती करता था और अपने परिवार का भरण पोषण करता था | किसान धीरे-धीरे बूढ़ा होने लगा था अब उससे मेहनत भी नहीं हो पाती थी | किसान का एक बेटा था जो अब जवान हो गया था परन्तु वह अपने पिता के समान मेहनत नहीं कर पाता था |एक दिन किसान ने अपने बेटे को बुलाया और कहा –" बेटा ! अब मैं बूढ़ा हो गया हूँ और अब मेरे हाँथ पैरों में पहले जितनी ताकत नहीं रही | अब खेती का काम मुझसे नहीं हो पाता है | अब तुम जवान हो गए हो और खेती के सांथ-सांथ घर गृहस्थी का कार्य भी तुम्हें ही देखना पड़ेगा |”
पिता के अनुरोध पर लड़का खेती का कार्य देखने लगा पर आलसी होने के कारण अपने पिता जैसी मेहनत नहीं करता था और आज का काम कल पर टाल देता था |
लड़के ने थोड़ी बहुत मेहनत कर जैसे तैसे फसल तैयार कर ली | जब फसल पक कर तैयार हुई गाँव के बुजर्ग ने लड़के से कहा – " बेटा ! फसल पक कर तैयार है, अब जल्द ही इसे काट लो नहीं तो किसी जानवरों या पक्षियों के झुण्ड की नजर नजर इस पर पड़ गई तो वो इसे खा सकते हैं |”
लड़के ने बुजुर्ग की बात को सुनकर हाँ कह दिया पर जब वह फसल काटने गया तो तेज धूप और गर्मी के उसका बुरा हाल हो गया और वह कल फसल काटने की बात कहकर खेत से आ गया | लड़के ने इसी तरह दो दिन निकाल दिए और फसल नहीं काटी |
तभी कहीं से रात्रि में एक विशाल पक्षियों का झुण्ड आ गया और उसकी सारी फसल को खा गया | तीसरे दिन जब लड़का खेत आया तो पक्षियों के झुण्ड द्वारा अपनी फसल की हालत देखकर बहुत पछताने लगा | तभी वह बुजुर्ग लड़के के पास आया और कहने लगा – “ अब पछताए होत का जब चिड़िया चुग गई खेत |”
अब पछताए होत का जब चिड़िया चुग गई खेत कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि समय रहते कार्य कर लेना चाहिए नहीं तो फिर सिर्फ पछताना पड़ता है |
[अब पछताए होत का जब चिड़िया चुग गई खेत कहानी |
अब पछताए होत का जब चिड़िया चुग गई खेत मुहावरे का अर्थ |
Ab Pachtaye hot ka jab Chidiya chug gai khet |
Ab Pachtaye hot ka jab Chidiya chug gai khet muhavra/ kahavat / kahani |]
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