Lalchi Dukandar aur Birbal ki Kahani , tapile ka bachcha
Lalchi Dukandar aur Birbal ki Kahani 


बीरबल और लालची दूकानदार ( पतीले का बच्चा कहानी ) -

एक बार बीरबल को शहर के लोगों ने आकर बर्तनों के एक लालची दुकानदार के विषय में शिकायत की गई कि वह बहुत ज्यादा लालची है लोगों को ठगता है |

बीरबल साधरण ब्यक्ति की तरह एक दिन उस दुकानदार के पास गए और उससे पीतल के तीन बड़े –बड़े पतीले खरीद लाऐ | कुछ दिनों के बाद बीरबल एक छोटी सी पतेली लेकर  दुकानदार के पास गए और बोले  - " आपके बड़े पतीले ने यह बच्चा दिया है इसे रख लें | "  

दुकानदार बहुत  खुश हुआ और उसने वह छोटी पटेली लेकर रख ली |

कुछ दिनों के बाद बीरबल एक बड़ा पतीला लेकर दुकानदार के पास गए और बोले - " मुझे यह पतीला पसंद  नहीं आया ,आप मुझे मेरे पैसे वापस कर दें |"

दुकानदार बोला - " अरे भाई  ! यह तो एक है जबकि मैंने आपको तीन पतीले दिए थे , आपको तीनो पतीले वापस करने पड़ेंगें |"

दुकानदार की बात सुनकर बीरबल बोले -  " जी आपने तीन पतीले ही दिए थे लेकिन उनमें से दो पतीलों  की मृत्यु हो गई  हैं |"

बीरबल की बात सुनकर दूकानदार गुस्सा होकर  बोला - " जाओ –जाओ झूंठ बोलते हो कहाँ -कहाँ से चले आते हैं  बेबक्कूफ बनाने ,भला कहीं पतीलों की भी मृत्यु होती है ? "

दूकानदार की बात सुनकर बीरबल ने कहा - "  क्यों नहीं हो सकती ....? जब पतीलों के बच्चे पैदा हो सकते हैं तो पतीले मर भी तो सकते हैं | "

 यह सुनकर दुकानदार बहुत शर्मिदा हुआ और उसने बीरबल को पतीलों के सारे पैसे लौटा दिए | अंत में बीरबल ने अपना परिचय देकर उसे भविष्य में ऐंसा लालच न करने की हिदायत देकर वापस आ गए | उसके बाद दुकानदार ने लोगों को ठगना बंद  कर दिया |

शिक्षा - " लालची दुकानदार और बीरबल की कहानी से हमें शिक्षा मिलती है की कभी भी  गलत तरीके से लोगों को ठगना नहीं चाहिए |"