Kachua Aur Lomadi Ki Dosti |
कछुआ और लोमड़ी की कहानी -दोस्त की मदद | Kachua aur Lomdi ki Kahani -
बहुत समय पहले की बात है एक कछुआ और एक लोमड़ी में बहुत अच्छी दोस्ती थी | कछुआ एक तालाब में रहता था और लोमड़ी तालाब के पास ही एक माँद में रहती थी | कछुआ और लोमड़ी खाली समय में एक दूसरे के पास जाकर बैठते और अपना सुख दुःख बांटते | एक दिन लोमड़ी और कछुआ तालाब के किनारे बैठे हुए गप-शप कर रहे थे कि तभी वहां एक तेंदुआ आ गया | दोनों तेंदुए को देखकर अपनी-अपनी जान बचाने के लिए घर की तरफ भागे | लोमड़ी सरपट दोड़कर अपनी माँद में छुप गई | कछुआ अपनी चाल से तालाब की तरफ भाग रहा था परंतु उसके तालाब तक पहुँचने के पहले ही तेंदुए ने उसे पकड़ लिया | तेंदुआ कछुआ को एक पेड़ के नीचे ले गया और उसे खाने का प्रयास करने लगा | उसने अपने पैने दांत और पंजों से कछुआ के खोल पर प्रहार किया परन्तु कछुआ के खोल पर तेंदुए के हमले का कोई असर नहीं हुआ | पास में ही लोमड़ी अपनी माँद से ये सब देख रही थी और वह अपने दोस्त की मदद करना चाहती थी और किसी भी तरह अपने मित्र कछुए की जान बचाना चाहती थी | लोमड़ी के चालाक दिमाग में एक युक्ति सूझी | वह तेंदुए से बोली- “ तेंदुआ भाई ! इस कछुए का खोल बहुत मजबूत है यह इस तरह नहीं टूटेगा , आप इसे तालाब के पानी मे डाल दो , पानी में इसका खोल गल जायेगा तब आप इसे आराम से खा सकते हो |”
तेंदुए को लोमड़ी की बात अच्छी लगी और उसने कछुआ को तालाब के पानी में डाल दिया | अब क्या था कछुआ जो चाहता था वह उसे मिल गया | कछुआ धीरे से तालाब के अन्दर छुप गया | इस प्रकार लोमड़ी की चालाकी ने उसके दोस्त की मदद की और कछुआ की जान बचा ली |
दोस्त की मदद |
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