Chalak Lomdi aur kouwa ki kahani |
चालक लोमड़ी और कौवा की कहानी | Chalak Lomdi Aur Kouwa -
बहुत पुरानी बात है , गर्मियों के दिन थे जंगल में जानवरों को पास खाने के लिए कुछ नहीं था | उसी जंगल में एक कौवा रहता था | कौआ भोजन की तलास में पास के गाँव चला गया और वहां किसी के घर से एक रोटी ले आया उसे खाने के लिए एक पेड़ पर बैठ गया | कौआ की आवाज बहुत ही कर्कस थी इसी कारण जंगल के अधिकांश पशु-पक्षी उससे दूर ही रहते थे | उसी समय पेड़ के पास ही एक लोमड़ी भोजन की तलास में घूम रही थी , लोमड़ी भी बहुत भूखी थी अचानक लोमड़ी की नजर कौआ और उसकी रोटी पर पड़ी | लोमड़ी किसी भी तरह कोए से रोटी लेना चाहती थी | वह कौवा से रोटी लेने की तरकीब सोचने लगी और उसी पेड़ के नीचे पहुँच गई जिधर कौवा बैठा था | लोमड़ी कौआ के पास गई और बोली- “ कौआ भैया ! मैंने आपकी बहुत तारीफ़ सुनी है , सुना है आप बहुत ही अच्छा गाते हो और जंगल के ज्यादातर जानवर और पक्षी आपके जैसा नहीं गा पाते इसी कारण आपसे जलते है | आपको तो इस जंगल का राजा बनाया जाना चाहिए |”
लोमड़ी से अपनी तारीफ़ सुनकर कौआ मन ही मन फूला नहीं समां रहा था परन्तु उसके मुंह में रोटी होने से वह कुछ नहीं बोला और लोमड़ी की हाँ में हाँ मिलाने के लिए उसने अपना सर हिला दिया | कौआ के सिर हिलाते ही लोमड़ी समझ गई की उसकी चिकनी चुपड़ी बातों का कौए पर असर हो रहा है | लोमड़ी ने सोचा की कुछ और अच्छी अच्छी बातें करने पर कौवा अवश्य ही अपना मुंह खोल देगा |
लोमड़ी पुनः कौआ से बोली – “ कौवा भाई ! इस तरह गर्दन हिलाने से काम नहीं चलेगा , जबसे मैंने आपके गाने की तारीफ़ सुनी तब से मैं आपका गाना सुनने के लिए व्याकुल हूँ , आप इस जंगल के होने वाले राजा हो और आपको अपनी प्रजा की बात तो माननी ही पड़ेगी |”
लोमड़ी की चिकनी चुपड़ी बातें सुनकर कौवा गद्गद् हो चुका था | कौआ सोचने लगा की इस लोमड़ी को बतला ही देता हूँ कि मैं कितना मधुर गाना गाता हूँ और मैं ही जंगल का राजा बनने लायक हूँ , इतना सोचते हुए कौआ भूल गया की उसकी चोंच में रोटी दबी है और उसने गाना गाने के लिए अपनी चोंच खोल दी | कौवा के चोंच खोलते ही रोटी जमीन पर आ गिरी | पेड़ के नीचे लोमड़ी खड़ी हुई थी उसने झट से रोटी उठा ली और वहां से चली गई | कौआ अब कुछ कर नहीं सकता था और अपनी भूल पर पछताने लगा |
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