Apna Desh - Panchtantra ki Kahani |
अपना देश अपना होता है - पंचतन्त्र कहानी
एक नगर में एक शेरू नाम का कुत्ता रहता था | एक बार नगर में अकाल पड़ गया , मनुष्यों के पास खाने को नहीं बचा तो भला कुत्तों को क्या मिलता ? जब शेरू ने देखा कि अकाल के कारण सभी कुत्ते मरने लगे तो वह अपनी भूख का निदान ढूंढने उस नगर को छोड़कर दूसरे नगर में चला गया जहाँ उसे खाने की कोई कमी नहीं थी , वह जहाँ जाता था वहां उसे खाना मिल जाता था | किन्तु वह जिस इलाके में जाता वहां के कुत्ते उसे नोंच –नोंचकर अधमरा कर देते थे और वह लहू लुहान हो जाता था | जब वह थोडा ठीक होता तो खाने की तलाश में जाना ही पड़ता था, जब वह खा –पीकर बाहर निकलता तो फिर वही हाल होता था | रोज-रोज मार खाकर उसने सोचा कि इस तरह तो यहाँ एक दिन अपनी जान गवानी पड़ेगी तो वह तंग आकर वापस अपने नगर आ गया|
जब उसके पुराने सांथियों ने उससे पूछा – “ क्यों शेरू भाई तुम क्यों लौट आये ? क्या वहां खाने को नहीं मिलता था ?
शेरू बोला – “ नहीं-नहीं वहां खाने कि कोई कमी नहीं थी , बस एक ही दुःख था भाई कि वहां के कुत्ते मेरे प्राण लेने पर उतारू थेऔर उसने अपने घाव साथियों को दिखाए |
शेरू बोला – “भाई यहाँ अकाल ही सही पर कोई काटने तो नहीं दौड़ता, यहाँ भूंखे रहना मंजूर है पर दूसरे नगर जाकर जान जोखिम में डालना मंजूर नहीं है | अब मैं कहीं नहीं जाऊंगा | “
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