Birbal ke Kisse3 |
बीरबल की चतुराई के किस्से | Akbar Birbal Story in hindi-
बीरबल बादशाह अकबर के प्रमुख सलाहकार और नवरत्नों में से एक थे | वे बहुत ही बुद्धिमान और चतुर व्यक्ति थे | बादशाह अकबर जब कसी परेशानी में घिर जाते और उन्हें किसी प्रश्न का उत्तर ना मिलता तो वे बीरबल की सलाह लेते और उन्हें उस समस्या का हल जरुर मिल जाता था | बीरबल के जन्म स्थान के बारे में विद्वानों के अलग-अलग मत हैं कुछ लोग इन्हें आगरा का , तो कुछ इन्हें कानपुर का , तो कोई इन्हें दिल्ली का , तो कोई मध्यप्रदेश के सीधी के घोघरा गाँव का मानते हैं | बीरबल का जन्म भट्ट ब्राम्हण परिवार में 1528 में हुआ था | उनके बचपन का नाम महेश दास था और उनके पिता का नाम गंगा दास था | बीरबल उनकी उपाधि थी | बीरबल ने अपनी चतुराई , बुद्धि और बीरता के दम पर अकबर के नवरत्नों में अपना स्थान बना लिया |बीरबल और अकबर के ऊपर कई किस्से कहानियां प्रचलित हैं | जिनमे. से कूछ नीचे दी गईं हैं |
(1) हर समय कौन चलता है | बीरबल की चतुराई के किस्से 1
एक समय अकबर बादशाह ने अपने दरबारियों से पूछा कि हर समय कौन चलता है ? किसी ने कहा सूर्य हर समय चलता है तो किसी ने कहा चंद्रमा हर समय चलता है किसी ने कहा प्रथवी हमेशा चलती है | जब यही सबाल बीरबल से पूछा गया तो बीरबल ने उत्तर दिया_’’ हुजूर बनिए का ब्याज हमेशा चलता रहता है उसे कभी भी थकावट नहीं होती है वह दिन दूनी रात चौगनी रफ़्तार से चलता रहता है|’’
(2) झूठी चापलूसी |बीरबल की चतुराई के किस्से 2
एक रोज अकबर बादशाह ने अपने दरबारियों से पूछा यदि सब की दाढ़ी में एक सांथ आग लग जाये तो तुम लोग पहले किसकी दाढ़ी की आग बुझाओगे ?सबने एक स्वर में कहा हुजूर की दाढ़ी की आग पहले बुझाएंगे | बादशाह को लगा जैसे ये लोग झूंठ बोल रहे हैं ,फिर यही सबाल बीरबल से किया गया तो बीरबल ने उत्तर दिया –“ हुजूर मैं सबसे पहले अपनी दाढ़ी की आग बुझाऊंगा फिर किसी और कि दाढ़ी कि तरफ देखूंगा|”
बीरबल के जबाब से बादशाह बहुत खुश हुए और बोले कि तुम लोग मुझे खुश करने के लिए झूंठ बोल रहे थे सच बात तो यह है कि हर आदमी अपने बारे में पहले सोचता है|
(3) सच और झूठ में अंतर | बीरबल की चतुराई के किस्से 3
अकबर बादशाह ने बीरबल से पूछा सच और झूठ में कितना अंतर होता है ? बीरबल ने जबाब दिया – “ हुजूर आँख और कान में जितना फांसला है उतना ही अंतर सच और झूंठ में होता है |” बादशाह ने पूछा – “ वह कैसे ?”
बीरबल ने कहा – “हुजूर सीधी साधी सी बात है ,आँखों देखी बात तो सही मानी जाती है और कानों से सुनी बात को झूठी मानी जाती है|”
(4) अक्ल की दाद |बीरबल की चतुराई के किस्से 4
एक बार अकबर बादशाह ने बीरबल की परीक्षा लेना चाही उन्होंने एक कागज पर पेन्सिल से एक लकीर खींचकर बीरबल को बुलाकर कहा- “ न तो यह लकीर घटाई जाये और न ही मिटाई जाये छोटी हो जाये ? “
बीरबल ने फ़ौरन उस लकीर के नीचे पेन्सिल से एक उससे बड़ी लकीर खींच दी |और बोले – “ यह देखिये हुजूर अब आपकी लकीर छोटी हो गई | “
बादशाह यह देखकर बहुत खुश हुए और मन ही मन बीरबल की अक्ल की दाद देने लगे|
(5) ऊंट की गर्दन टेढ़ी | बीरबल की चतुराई के किस्से 5
एक बार बादशाह ने बीरबल को जागीर देने का वायदा किया लेकिन जब जागीर देने का समय आया तो गर्दन फेर ली | कुछ दिन के बाद बादशाह और बीरबल कहीं से गुजर रहे थे उन्हें एक ऊंट बैठा दिखा ,ऊंट को देखकर बादशाह ने बीरबल से पूछा – “ बीरबल ऊंट की गर्दन टेढ़ी क्यों होती है?”
बीरबल ने कहा – “ जहाँपनाह गुस्ताखी मांफ लेकिन मेरा ख्याल है कि इसने किसी को कुछ देने का वायदा किया होगा और समय पर गर्दन फेर ली होगी इसलिए इसकी गर्दन टेढ़ी है |”
बादशाह बीरबल के कटाक्ष को समझ गए और वापस आकर बीरबल को वायदे के मुताबिक जागीर दे दी |
(6) दो गधों का बोझ |बीरबल की चतुराई के किस्से 6
एक बार बादशाह अकबर ,उनका पुत्र शहजादा और बीरबल सैर कर रहे थे ,गर्मी कुछ ज्यादा थी इसलिए अकबर ने अपना कोट उतारा और बीरबल के कंधे पर रख दिया |यह देखकर शहजादे से भी न रहा गया उसने भी अपना कोट उतरा और बीरबल के कंधे पर रख दिया | यह देखकर बादशाह को मजाक सूझी और बोले – “ बीरबल तुम्हारे कंधे पर तो आज एक गधे का बोझ लदा हुआ है|”
बीरबल ने जबाब दिया- “ जी नहीं आप गलत बोल रहे हैं ,मेरे कंधे पर एक नहीं दो-दो गधों का बोझ लदा हुआ है | “
यह सुनकर बादशाह और शहजादा दोनों मुस्कुरा दिए |
(7) लोटा न था | बीरबल की चतुराई के किस्से 7
एक बार अकबर बादशाह ने बीरबल से पूछा- “ ब्राम्हण प्यासा क्यों और गधा उदास क्यों है ?”
बीरबल ने तुरंत उत्तर दिया – “ लोटा न था इसलिए ब्राम्हण प्यासा और गधा उदास हैं | अर्थात ब्राम्हण के पास लोटा नहीं था और वो किसी दूसरे के लोटे में पानी नहीं पी सकता था इसलिए वह प्यासा था और गधा लोट-पोट नहीं हो पाया इसलिए गधा उदास है क्योंकि लोट-पोट होने से गधे को आराम मिलता है |”
दो प्रश्नों का एक जबाब सुनकर बादशाह बहुत खुश हुए |
(8) आज्ञा माननी पड़ेगी |बीरबल की चतुराई के किस्से 8
एक बार अकबर बादशाह के दरबार में एक बजीर ने बीरबल से कहा कि बादशाह ने आपको सूअरों और कुत्तों का अफसर नियुक्त किया है , इस पर बीरबल ने कहा –‘’ बहुत खूब तब तो आपको भी मेरी आज्ञा में रहना पड़ेगा |’’
यह सुनकर अकबर बादशाह हंस पड़े और बजीर लज्जित हो गया |
(9) चौवे जी की बुद्धिमानी | बीरबल की चतुराई के किस्से 9
एक बार अकबर बादशाह ने बीरबल से कहा हमने सुना है कि मथुरा के चौवे बड़े ही हाजिर जबाब होते हैं ,अगर कोई चौवे आगरा आए तो हमारे दरबार में हाजिर करना |
बीरबल ने कहा जी बहुत अच्छा ऐंसा ही होगा |
संयोग से दूसरे दिन ही एक चौवे जी मथुरा से आगरा आए थे , बीरबल उनको लेकर बादशाह के दरबार में पहुच गए और बादशाह से बोले- “ हुजूर आपकी आज्ञा अनुसार चौवे जी हाजिर हैं |”
बादशाह ने पूछा – “चौवे जी यहाँ से अब आप कहाँ जाएंगे ?” चौवे जी बोले-“ महाराज अब वापस मथुरा जाएंगे |” बादशाह ने कहा- “ अच्छा तो आप हमारी मथुरा भाभी से हमारा सलाम कहना | “
चौवे जी ने कहा – “ जी बहुत अच्छा पर रास्ते में आपके बहनोई व्रंदावन मिलेंगे तो उनसे क्या कहूँगा |”
बादशाह इस बात का कोई जबाब नहीं दे सके और खुश होकर चौवेजी को बहुत सारा ईनाम देकर विदा किया |
(10) मुर्गी का अंडा | बीरबल की चतुराई के किस्से 10
एक बार अकबर बादशाह ने बीरबल की हंसी उड़ाने का मन बनाया ,उन्होंने बीरबल के आने से पहले बाजार से मुर्गी के अंडे मंगवाकर सभी दरबारियों को एक-एक अंडा बाँट दिए केवल बीरबल रह गए | जब बीरबल दरबार में पहुंचे तो बादशाह बोले _’’ दीवानजी हमने रात को एक अजीब सा सपना देखा है,उसका तात्पर्य यह है कि जो आदमी इस हौज में डुबकी लगाकर एक मुर्गी का अंडा न निकाल पाया उसे दो बाप का माना जाएगा ,मेरा विचार है सबकी बारी-बारी से परीक्षा ली जावे जिससे सपने की असलियत का भी पता चल जाएगा |’’
फिर बादशाह की अनुमति से सब दरबारियों ने हौज में दुबकी लगाकर हाथों में मुर्गी का अंडा लेकर बाहर निकले | जब बीरबल की बारी आई तो वह हौज में डुबकी लगाकर खाली हाथ बाहर निकल आये किन्तु उनके मुंह से कुकड़ू –कू की आबाज निकल रही थी |
बादशाह ने पूछा- ‘’दीवानजी तुम्हारा अंडा कहाँ गया जल्दी दिखाओ ?’’
बीरबल ने उत्तर दिया-“ हुजूर गुस्ताखी मांफ इन सब अंडे देने वाली मुर्गियों के बीच मैं ही एकमात्र मुर्गा हूँ |” यह सुनकर सभी दरबारी सहम गए लेकिन बादशाह मुस्कुराने लगे |
Akabar Birbal ke kisse |
(11) बादशाह की कसम | अकबर बीरबलके किस्से 11
एक बार एक बूढ़े इंसान को बादशाह अकबर ने फांसी की सजा सुनाई | बीरबल इस सजा के खिलाफ थे | बीरबल की मनोदशा देखकर अकबर ने कहा- “ बीरबल आज मै बहुत गुस्से में हूँ , तुम इस इंसान का पक्ष नहीं लेना मैंने आज कसम खाई है तुम जो कहोगे मैं उसके बिपरीत कार्य करूँगा | ‘’
बादशाह की बात सुनकर बीरबल बोले- “ हुजुर ! इस इंसान को अवश्य ही मृत्यु दण्ड दीजिये आखिर इसने काम ही ऐसा किया है |”
बादशाह ने तुरंत ही उस इंसान को छोड़ दिया क्यूंकि वह बीरबल की बात के विपरीत कार्य करने की कसम खा चुके थे |
(12) दौलत यहाँ कायम रहे | अकबर बीरबल के किस्से कहानी 12
बादशाह अकबर ने महल में दौलत नाम का एक नौकर कार्य करता था | एक बार किसी गलती के कारण बादशाह ने उसे नौकरी से निकाल दिया | वह व्यक्ति उदास होकर बीरबल के पास गया | उसकी बात सुनकर बीरबल ने सलाह दी और बोले –‘’ तुम महल में जाओ तो बोलो कि दौलत हाजिर है हुक्म हो तो रह जाए |’’
नौकर ने वैसा ही किया | बादशाह ने कहा- “ दौलत यहाँ हमेशा कायम रहे |’’
इन अर्थ भरी बातें ने सभी का मन मोह लिया और नौकर की नौकरी भी बच गई |
(13) पहेली का जवाब| अकबर बीरबल के किस्से कहानी 13
बादशाह अकबर अक्सर बीरबल से पहेलियाँ पूछा करते थे | एक दिन अकबर ने बीरबल से कहा की मैं कुछ पूछूँगा उसका उत्तर एक ही होना चाहिए | अकबर ने सवाल किया- “ बड़ी क्यूँ न खाई ? जूता क्यूँ न पहना ?”
बीरबल ने जवाब दिया- “ तला ना था |”
अर्थात बड़ी को तल का पकाया नहीं गया सिलिये बड़ी को नहीं खाया और जुटे में तला नहीं था इसिलए उसे पहना नहीं जा सका |
बीरबल के उत्तर सुनकर बादशाह ने भी बीरबल का बहुत तारीफ की |
(14) दूध भाई | बीरबल की चतुराई के किस्से 14
अकबर बादशाह ने जिस ताई का दूध बिया था वो उसके पुत्र को अपना भाई ही मानते थे जो अक्सर उनसे मिलने आया करता था क्यूंकि चाहे मुस्लिम हो या हिन्दू दोनों में ही जिसका दूध पिया जाता था उसके पुत्र को भाई के बराबर माना जाता रहा है |
एक बार अकबर ने बीरबल से पूछा- “ क्या तुम्हारा भी कोई दूध भाई है ? अगर हो तो हमें उससे मिलवाओ | ”
बीरबल ने कहा –“ जी हुजुर है तो पर वह किसी से बात नहीं करता |”
फिर भी बादशाह की जिद पर बीरबल उन्हें अपने घर ले गए और बछड़े के पास ले जाकर बोले –“ जहाँपनाह ! यह रहा मेरा दूध भाई |’’
बात बादशाह को समझ हीं आई उन्होंने पूछा – “यह बछड़ा तुम्हारा दूध भाई कैसा हुआ ?”
बीरबल ने उत्तर दिया - ” मैंने इस गाय माता का दूध बिया है और यह इसका बछड़ा है उसी नाते से यह मेरा दूध भाई हुआ| “
बीरबल का उत्तर सुनकर बादशाह को बहुत ख़ुशी हुई |
(15) लेकिन मैं भी तो गया नहीं | बीरबल की चतुराई के किस्से 15
एक दिन बीरबल अपने रिश्तेदार के यहाँ दूसरे शहर गए | एक दंपत्ति ने बीरबल को दूर से देखकर लड़ाई का नाटक किया | पति ने हाथ में लकड़ी लेकर उसे जमीन पर पटकते हुए पत्नी को धमकाते हुए पीटने का नाटक शुरू कर दिया |बीरबल ने जब देखा कि यह सब नाटक है और वह घर के चौबारे में छिपकर बैठ गए |कुछ देर बाद उन्होंने देखा कि पति पत्नी ने लड़ाई रोक दी और अपनी-अपनी होशियारी जताने लगे |
पति बोला-देखा किस होशियारी से मैंने लकड़ी उठाकर चलाई ,लेकिन तुमको एक भी नहीं लगी | पत्नी बोली – आपने भी देखा कि मैं कितनी चतुराई से चिल्लाई ,लेकिन रोई तक नहीं |
यह सुनकर बीरबल से रहा नहीं गया | वह बोले-तुम लोगों ने भी देखा ,मैं किस तरह चौबारे में छिप गया लेकिन मैं भी तो गया नहीं |
(16) चार सबालों का जवाब | बीरबल की चतुराई के किस्से 16 -
एक बार अकबर बादशाह ने बीरबल से पूछा-“ आदमी बीमार क्यों पड़ा ? साग अच्छा क्यों न बना ?” बीरबल ने जबाब दिया –“ जहाँपनाह ! सोया न होगा |”
बादशाह ने फिर पूछा –“ दीबार क्यों टूटी ? राह क्यों लुटी ? “
बीरबल ने जबाब दिया – “ राज न था | “
जवाब सुनकर अकबर बादशाह बहुत खुश हुए |
( 17) माला दो ,बहन दो | अकबर बीरबल के किस्से कहानी 17 -
एक बार बादशाह अकबर और बीरबल नाव में सवार होकर नदी में सैर करने निकले बादशाह को बीरबल से हंसी करने की सूझी ,उन्होंने अपने गले की माला उतारकर नदी में फेक दी और बीरबल से बोले -“ माला दो |’’ बीरबल ने बादशाह के मन की बात को समझते हुए अपने मन के भाव छिपाते हुए बोले,- “ बहन दो |”
बीरबल की यह बात सुनकर बादशाह नाराज हो गऐ और बीरबल से बोले _“तुम मेरी बहन मांगते हो?“ बीरबल ने भी उग्र भाव से कहा _”आपने तो मेरी माँ को माँगा था मैं तो नहीं चिढ़ा फिर आप क्यों नाराज होते हैं ? “ बादशाह तुरंत अपनी कही बात के पहले अर्थ पर पहुँच गए और बोले _” मैंने तो मेरी माला जो पानी में बही जा रही थी उसे लाने को बोला था | “ तब बीरबल भी ठीक उसी तरह पलट कर बोले-“ मैंने भी माला को बहने दीजिए कहा था फिर आपने कैसे मान लिया कि मैं आपकी बहन को मांग रहा हूँ ,मैंने तो किसी का नाम तक नहीं लिया |” बादशाह से कुछ कहते नहीं बना वह निरुत्तर हो गए |
(18) पाद और दस्त | अकबर बीरबल के किस्से कहानी 18 -
एक दिन बादशाह और बीरबल बैठे –बैठे गप्पें लड़ा रहे थे | बादशाह ने कहा – "बीरबल तुम्हारी संस्कृत कैसी बेहूदा जुबान है ,जिसमें शरीर के एक प्रधान अंग पैर को ,,पाद,, कहते हैं |"बीरबल ने तुरंत उत्तर दिया—" जहाँपनाह अपराध क्षमा हो , आपकी फारसी तो इससे भी बेहूदा जुबान लगती है | उसमें हाथ जैसे उत्तम अंग को ,,दस्त,, कहते हैं | "
(19) अपनी स्त्री भुला बैठा | अकबर बीरबल के किस्से कहानी 19 -
अकबर बादशाह और बीरबल के बीच अक्सर मजाक होता रहता था |एक दिन दोनों एक दूसरे से मजाक कर रहे थे |बादशाह नेकहा – " बीरबल तुम्हारी स्त्री बहुत सुन्दर है |"
बीरबल ने कहा – "सरकार पहले तो मैं भी ऐसा ही समझता था ,लेकिन जब बेगम साहिबा को देखा तो मैं अपनी स्त्री को भी भुला बैठा हूँ |"
बादशाह ने बीरबल का उत्तर सुनकर शर्मिंदगी महसूस की |और उस दिन के बाद बीरबल से कभी ऐसा बेहूदा मजाक नहीं किया |
(20) बुलाकर- ला | अकबर बीरबल के किस्से कहानी 20 -
एक दिन अकबर बादशाह ने सुबह उठकर हाथ मुंह धोने के बाद नौकर से कहा _" बुलाकर ला ?"मगर यह नहीं कहा कि किसे लाकर लाना है | नौकरों को बादशाह से पूछने का साहस नहीं हुआ और वे इधर उधर दौड़ने लगे | मगर बुलाकर लायें तो किसे लायें ,आखिर वह आदमी दौड़ता हुआ बीरबल के पास गया और सारा हाल कह सुनाया | बीरबल फ़ौरन समझ गए और बोले - सुबह का समय है , बादशाह अक्सर मुंह धोने के बाद अक्सर हजामत बनवाते हैं , इसलिए हज्जाम को बुलाकर ले जाओ |"
वह बीरबल के बताये अनुसार बादशाह के पास हज्जाम को ले गया | बादशाह ने खुश होकर पूछा-" किसके कहने से लाये ?" बादशाह समझ गए और खुश होकर बीरबल की तारीफ़ करने लगे|
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