चतुर ब्राम्हण और राक्षस की पंचतन्त्र कहानी | Chatur Bramhan Aur Rakshas Ki Panchtantra Kahanai -
बहुत पुरानी बात है एक गाँव में एक वृक्ष के ऊपर गंटक नाम का राक्षस रहता था | एक बार की बात है उस वृक्ष के नीचे से एक ब्राम्हण गुजर रहा था तो राक्षस उसके कन्धों पर जाकर बैठ गया |राक्षस ब्राम्हण के कन्धों पर बैठते ही ब्राम्हण से कहने लगा - '' हे ब्राम्हण तुम मुझे पास के सरोवर तक ले चलो |''
ब्राम्हण के मन में विचार आया की यह स्वयं ही सरोवर तक जा सकता था तो मेरे कन्धों पर बैठ कर क्यूँ जा रहा है ? ब्राम्हण ने डरते-डरते पूछ लिया -'' तुम कौन हो और मेरे कन्धों पर क्यूँ बैठे हो ?''
राक्षस बोला - '' मै एक राक्षस हूँ और मेरा नाम गंटक है और तुम मुझे सरोवर तक ले चलो नहीं तो मै तुम्हे खा जाऊंगा |''
ब्राम्हण ने राक्षस से पूछा-'' तुम खुद ही सरोवर तक क्यूँ नहीं चले जाते ?''
राक्षस बोला -''मैंने प्रण लिया है की मैं गीले पैर जमीन पर नहीं रखूँगा इसीलिये मैं तुम्हारे कन्धों पर बैठ कर जा रहा हूँ |''
ब्राम्हण उस राक्षस को सरोवर तक ले गया जैसे ही दोनों सरोवर के पास पहुंचे राक्षस ब्राम्हण से बोला -'' अरे ब्राम्हण जब तक मैं इस सरोवर से नहाकर ना आ जून तुम कहीं मत जाना, नहीं तो मैं तुम्हे जीवित नहीं छोडूंगा "''
जैसे ही राक्षस सरोवर में नहाने के लिया गया ब्राम्हण ने सोचा की अगर यह राक्षस सरोवर से नहाकर आ जाता है तो पक्का ही यह मुझे खा लेगा और अगर मैं भागता हूँ तब भी यह मुझे दौड़ कर पकड़ लेगा और खा जायेगा | तभी ब्राम्हण को एक बात की याद आई जो उसने बातों ही बातों में राक्षस से पूछ ली थी कि राक्षस ने तो गीले पैर जमीन पर नहीं रखने की कसम खाई है |
बस क्या था ब्राम्हण ने उस स्थान से दौड़ लगा दी और राक्षस उसे देखता ही रह गया क्यूंकि उसके पैर सरोवर मैं गीले हो गए थे और वह गीले पैर जमीं पर नहीं रख सकता था |
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