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खरगोश और शेर की कहानी 

दुष्ट शेर और चालाक खरगोश की  कहानी |  Sher Aur Chalak Khargosh ki Kahani-

एक विशाल जंगल में एक शक्तिशाली शेर रहता था | वह शक्तिशाली होने के सांथ हे बहुत दुष्ट और घमंडी भी था | शेर का नाम भासुरक था | जंगल के जानवर उसे देख कर थर-थर काम्पते थे | वह जहाँ  भी जाता वहां बहुत से जानवरों को मार डालता और उनमें से कुछ को खाता और कुछ को  बिना खाये ही फेंक देता था | शेर से दुखी होकर जंगल के जानवरों ने एक सभा बुलाई | इस सभा में जंगल के सारे जानवर सम्मिलित हुए | सभा में अत्याचारी शेर से मुक्ति पाने के संबंध में चर्चा हुई | सभा में तय किया गया कि सभी जानवर शेर के पास जायेंगें और उससे विनती करेंगें की वह किसी भी जानवर को ना मारे, बदले में जंगल के जानवरों में से बारी-बारी से एक जानवर शेर का भोजन बनने के लिये भेज दिया जायेगा |
जंगल के सारे जानवर एकत्र होकर शेर के पास गए और अपना प्रस्ताव रखा | शेर भी जानवरों की बात मान गया | परन्तु उसने जानवरों को धमकी दी कि जिस दिन कोई जानवर शेर के पास नहीं आयेगा उस दिन से वह और अधिक जानवरों का शिकार करने लगेगा | उस दिन के बाद जंगल के जानवरों का डर खत्म हो गया अब वे निश्चिंत होकर जंगल में घूमते थे और शेर को भी बैठे-बैठे भोजन मिलता था | बहुत दिनों तक नियमानुसार एक-एक जानवर शेर के पास जाता रहा |

एक दिन एक खरगोश की बारी आई | खरगोश शेर के पास जा तो रहा था परन्तु डर के कारण उससे चलते नहीं बन रहा था | वह जंगल में धीरे-धीरे जा रहा था उसे  रास्ते में एक कुआं मिला वह कुछ देर के लिये कुयें के पास बैठ गया | उसने जब कुएँ में झाँका तो कुएँ में उसे अपनी ही परछाई दिखलाई दी | उस परछाई को देख कर खरगोश के मन मैं कई तरह के विचार आने लगे | वह कुछ सोचता विचार करता हुआ धीरे धीरे शेर की गुफा के पास पहुँच गया | शेर तब तक भूख से व्याकुल हो चुका था और अब वह जंगल में जानवरों को मारने के लिये निकलने ही वाला था तभी खरगोश शेर के पास पहुँच कर उसके सामने प्रणाम करता है |

खरगोश को देख का शेर का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया | वह दहाड़ते हुए खरगोश से बोला-'' मैं भूख से व्याकुल हुआ जा रहा हूँ और जंगल के जानवरों ने तुझ जैसे पिद्दी को मेरा भोजन बनाकर भेजा है | अब मै जंगल के सारे जानवरों को मार दूंगा |''

शेर की बातें सुनकर खरगोश ने विनम्रता पूर्वक कहा -'' महाराज आप क्रोध ना करें | मेरी देरी का कारण ना तो  मैं हूँ, नाही जंगल के दूसरे जानवर हैं | अगर आप मुझे माफ़ करें तो मैं आपको पूरी बात बतलाना चाहता हूँ |''


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Khargosh aur Sher ki kahani 


शेर ने कहा -'' अरे खरगोश तुझे जो कहना है जल्दी बोल मैं बहुत भूखा हूँ |''
खरगोश ने विन्रमता से सिर झुकाया और कहने लगा -'' महाराज मै बहुत छोटा हूँ इसीलिये जंगल के जानवरों ने मेरे जैसे पांच खरगोश आपकी सेवा में भेजे थे | जब हम जंगल से आ रहे थे तब एक दूसरा शेर आया और हमारे यहाँ आने का कारण पूछने लगा | जब हमने आपके पास आने के बात कही तब उसने आपको बहुत भला बुरा और डरपोक कहा और खुद को जंगल का राजा बतलाने लगा | उसने आपको युद्ध की चुनौती भी दी है | पांच में से चार खरगोश वह खा गया और मुझे जिन्दा छोड़ दिया और आपके पास भेज दिया ताकि मैं आपको उसके बारे में जानकारी दे सकूँ और उसके पास ले जा सकूँ | महाराज यही कारण है  कि मुझे यहाँ आने में देर हो गई |''

खरगोश की बात सुनकर भासुरक शेर बोला-'' खरगोश तुम मुझे जल्दी ही उस शेर के पास ले चलो | मैं जल्द से जल्द उस दुष्ट को सबक सिखलाना चाहता हूँ | उसने मुझे ललकारा है, उसकी इतनी हिम्मत की वह मेरे राज्य में आकर मुझे ही युद्ध की चुनौती दे |''
 शेर की बात सुनकर खरगोश बोला -'' महाराज ! युद्ध करना तो आप जैसे परमवीरों का काम है | परन्तु दुश्मन अपने दुर्ग मैं छुपा हुआ है और दुर्ग में छुपा शत्रु बहुत खतरनाक होता है |''
शेर ने कहा -'' तुम सही कह रहे हो परन्तु मुझे अपनी शक्ति पर पूरा भरोसा है | मैं उस दुष्ट को चुटकी में मसल दूंगा |''
शेर की बात सुनकर खरगोश उसे कुएँ के पास ले गया और बोला -'' महाराज ! यही माँद है जिसमें दूसरा शेर छुपा है और इसी जगह से वह आपको युद्ध के चुनोती दे रहा था |''

खरगोश भासुरक शेर को कुएँ की मेड पर ले गया | शेर ने कुएँ में झांककर देखा तो उसे अपनी ही परछाई दिखलाई दी उसे लगा की यह वही दूसरा शेर है जो मुझे चुनौती दे रहा है| भासुरक शेर ने जोर से दहाड़ मारी | उसकी दहाड़ की गूंज कुएँ से उतनी ही तेजी से वापस शेर को सुनाई दी | उस गूंज को अपने शत्रू की आवाज समझ कर भासुरक शेर ने गुस्से में उसी पल कुएँ में छलांग लगा दी और पानी में डूबकर अपने प्राण त्याग दिये | खरगोश ने अपनी बुद्धि के बल पर शक्तिशाली शेर का खात्मा कर दिया |

खरगोश वहां से लौटकर जंगल गया और सभी जानवरों को शेर के खात्मे का समाचार सुनाया | शेर की मृत्यु का समाचार सुनकर जंगल के सभी जानवरों में ख़ुशी की लहर दौड़ गई और सभी ने खरगोश की  बुद्धिमानी की तारीफ की और अब सभी जंगल में शांतिपूर्वक रहने लगे |

शिक्षा- " शेर और चालक खरगोश की कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि  वलवान वही है जिसके पास बुद्धि है |"

चालाक खरगोश और शेर की कहानी -2 | lion and rebbit story no-2 


एक जंगल में एक शेर रहता था वह बहुत ही खतरनाक था | उसी जंगल में एक खरगोश भी रहता था खरगोश छोटा किंतु बहुत ही होशियार था।



शेर और खरगोश की कहानी
शेर और खरगोश 

एक दिन शेर बहुत भूखा था और भोजन की तलाश में शेर जंगल में घूम रहा था उसी समय खरगोश अपने बिल के बाहर निकल कर धूप का मजा ले रहा था| शेर ने खरगोश को देखा और उस पर झपट्टा मार दिया कुछ ही पलों में खरगोश शेर के पंजों में आ गया। खरगोश को लगा कि शायद अब वह नहीं बच पाएगा किंतु उसने उम्मीद नहीं छोड़ी और शेर से बोला - " महाराज आप जंगल के राजा हैं और आपका शरीर इतना बड़ा है | मेरे जैसा छोटा सा प्राणी तो आपके दातों में ही चिपक कर रह जाएगा और आपका पेट ही नहीं भरेगा । महाराज पास में ही एक बड़ा सा हिरण है जो पास में ही घास चर रहा है आप चाहें तो उसका शिकार कर सकते हैं। "

शेर ने पास में देखा तो एक बड़ा सा हिरण बेखौफ होकर घास चल रहा था | शेर को हिरण पर गुस्सा आया कि शेर के रहते वह इतना बेखौफ होकर घास कैसे चर सकता है इस तरह तो जंगल के दूसरे जानवरों में भी शेर का डर मिट जायेगा | 

शेर को खरगोश की बात पसंद आई और उसने खरगोश को छोड़कर हिरण पर हमला कर दिया। हिरण बहुत फुर्तीला था जैसे ही शेर ने हिरण पर हमला किया हिरण लंबी-लंबी छलांग मारता हुआ वहां से भाग गया | इधर खरगोश जैसे ही शेर के पंजे से मुक्त हुआ तत्काल ही अपने बिल में जाकर छुप गया। शेर ने देखा हिरण तो भाग गया है तो वह वापस खरगोश के शिकार के लिए आया किंतु तब तक खरगोश भी उसकी नजरों से ओझल हो गया था |

Lion and rebbit story in hindi
Khargosh aur sher ki kahani 

इस प्रकार छोटे से खरगोश की होशियारी और शेर की मूर्खता के कारण शेर ना तो खरगोश का शिकार कर सका और ना ही हिरण का।

शिक्षा - " चालाक खरगोश और शेर की कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि विपत्ति के समय घबराना नहीं चाहिए अपितु अपनी बुद्धि का प्रयोग करके अपना बचाव करना चाहिए।"