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Best Moral Story In Hindi

 हिंदी की नैतिक शिक्षाप्रद कहानियां  |  Best moral story in hindi -

बच्चों को बचपन से जो बातें सिखलाई जाती है उनका असर लम्बे समय तक बच्चों के दिमाग में रहता है | इसीलिये हमारे ऋषि-मुनियों और लेखकों ने  समय-समय बच्चों के लिये  प्रेरणादायक कहानियों  (moral story in hindi) के रचना की  हैं ताकि इन कहानियों से  बच्चे  मनोरंजन के सांथ-सांथ कुछ ज्ञानवर्धक बातें सीख सकें | उनमें से कुछ चुनी गई कहानियां (moral story in hindi ) नीचे दी गई हैं-

(1)लोमड़ी और अंगूर खट्टे हैं | moral story in hindi  -

इस कहानी में एक लोमड़ी थी | एक दिन घूमते घूमते वह एक अंगूर की बेल के पास पहुँची | अंगूर की बेल एक ऊँचे पेड़ से लिपटी थी | बेल से पके हुए अंगूर लटक रहे थे| अंगूर देख कर लोमड़ी के मुंह में पानी आ गया | लोमड़ी बहुत भूखी थी और अंगूर ऊंचाई पर | लोमड़ी ने अंगूर खाने के लिये जोर से छलांग लगाई परन्तु वह अंगूर तक नहीं पहुँच सकी | लोमड़ी की भूख अब बढ़ते ही जा रही थी  और उसने दुबारा छलांग लगाई परन्तु वह फिर भी अंगूर तक नहीं पहुँच सकी |लोमड़ी ने बार-बार प्रयास किया परन्तु वह अंगूर तक नहीं पहुँच सकी | आखिरकार वह थक कर जाने लगी |
जाते जाते लोमड़ी अंगूर को देख कर कहती है --'' अंगूर तो खट्टे है , इन्हें खाने से क्या फायदा |''

शिक्षा- इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हार मानने में बुराई नहीं है |

(2) राजा और चमड़े की सड़क | moral story in hindi -

एक राजा थे | उनका राज्य बहुत बड़ा था | वे अपनी प्रजा का बहुत ख्याल रखते थे | एक दिन उन्होंने सोचा कि आज अपने राज्य घूम कर प्रजा का हाल देखते हैं | एक दिन वो एक गरीब का वेश धर कर अपने राज्य का हाल- चाल देखने निकले | उनका राज्य बहुत बड़ा था  और रास्ता बहुत ही ऊबड़-खाबड़ और पथरीला था | राजा जब लौट कर आये तो उनके पैरों में छाले पड़ गए  | राजा सोचने लगे कि मुझे एक दिन में इतनी तकलीफ हो रही है तो प्रजा को रोज कितनी  तकलीफ होती होगी | राजा ने आदेश दिया कि  राज्य की सभी सड़कों पर चमड़े की कालीन  विछ्वा दी जाये |
जब बात मंत्री को पता चली तो उसने हिसाब लगाया की चमड़े की कालीन बनवाने में लाखो जानवरों को मारना पड़ेगा ,जानवरों के मरने से  लोगों को दूध भी नहीं मिलेगा, खेती के लिये जानवर भी नहीं बचेंगे , महामारी भी फैलेगी और शासकीय खजाना खाली हो जायेगा |
 मंत्री ने हिम्मत कर राजा से कहा -'' महाराज  इस तरह तो हमारा खजाना ही  खाली हो जायेगा और लाखो जानवर भी मारे जायेंगे, अच्छा होगा की हम सड़कों पर चमड़े की कालीन बिछाने के बदले अपने पैरों के लिये उसी चमड़े की जूती बनवा लें ''|
राजा को मंत्री का सुझाव बहुत पसंद आया और उसने अपनी गरीब प्रजा के लिये चमड़े के जूते  सिलवा दिए |

शिक्षा-  इस कहानी से हमे शिक्षा मिलती है कि पूरी दुनिया को सुधारने से अच्छा है हम अपने  स्वयं को सुधार लें |

(3) चालाक लोमड़ी और  कौआ की कहानी  | moral story in hindi -

एक जंगल में एक कौआ  रहता था | एक दिन  वह किसी के घर से रोटी चुराकर ले आया और एक पेड़ पर बैठ कर खाने लगा | दूर से एक लोमड़ी यह सब देख रही थी | वह भी भूखी थी रोटी देखकर उसका मन भी ललचा गया | वह कौआ  से रोटी लेने की तरकीब सोचने लगी | लोमड़ी भी उसी पेड़ के नीचे पहुँच गई जिस पर कौआ  बैठा था | लोमड़ी ने कौआ से नमस्कार किया परन्तु कौए ने कोई उत्तर नहीं दिया | फिर लोमड़ी बोली -''कौआ राजा आज तो आप बहुत ही सुन्दर और चमकदार लग रहे हो,  मैंने सुना है कि आपकी आवाज भी बहुत सुरीली है, आपमें तो इन सभी कौओं का राजा बनने की क़ाबलियत है,  मैं तो  आपकी मधुर  आवाज सुनना चाहती हूँ |''
लोमड़ी की चिकनी-चुपड़ी बातें सुनकर कौआ सोचने लगा सचमुच मैं कौओं का राजा बन सकता हूँ, यह बात मैं लोमड़ी को सिद्ध कर देता हूँ | कौआ  ने गाने के लिये जैसे ही अपनी चोंच खोली रोटी जमीन पर गिर गई | लोमड़ी तो यही चाहती थी उसने झट से रोटी उठाई और उधर से भाग गई |

शिक्षा- चिकनी -चुपड़ी बातें करने वालों से हमेशा सावधान रहना चाहिये |

(4) मोर  और कौआ की कहानी | moral story in hindi -

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एक जंगल में एक कौआ रहता था वह जब भी जंगल के मोरों को देखता तो मोरों की खूबसूरती को देख मन ही मन जलता और सोचता भगवान् ने उसे इतना सुन्दर शरीर क्यूँ नहीं दिया | एक दिन उसने देखा की जंगल में बहुत से मोर नृत्य कर रहे हैं | नृत्य करने के बाद मोरों के बहुत से पंख जंगल में बिखर गए | कौए ने मोरों के पंख एकत्र किये और अपने शरीर पर चिपका  लिये | उसने सोचा अब वह मोरों से भी ज्यादा सुन्दर दिखने लगा और यही दिखलाने के लिये मोरों के पास पहुँच गया | उसे  देख मोर जोरों से हँसने लगे | कुछ मोरों को लगा यह धोखे से मोरों में शामिल होना चाहता है | मोरों ने मिलकर कौए की  पिटाई कर दी | कौआ उधर से भाग कर  मोरों को सबक सिखलाने के लिये अन्य कौओं के पास पहुंचा और सारा किस्सा  बतलाया |  कौओं की सभा लगी एक बुजुर्ग कौआ बोला -'' यह हमारा अपमान करता है और मोर बनना चाहता है | जो प्राणी अपनी जाती से संतुष्ट नहीं रहता वह , कहीं भी संतुष्ट  नहीं हो सकता | यह मोरों से पिटकर  हमारे पास आया है |हमें भी इससे अपनी बेज्जती का बदला लेना चाहिये |''
इतना  सुनकर सारे कौओं ने मिलकर उसकी की पिटाई कर दी |

शिक्षा-  ईश्वर ने हमें जैसा रूप दिया उसी में खुश रहना चाहिये और प्राणी अपने रूप से नहीं वल्कि कर्मों से महान  बनता है |

(5) मधुमक्खी और कबूतर की कहानी | moral story in hindi

एक जंगल में एक मधुमक्खी  रहती थी वह फूलों का रस एकत्र करने के लिये पूरे जंगल में घूमती  रहती थी  | एक दिन वह एक नदी के किनारे फूल पर बैठी थी तभी हवा का एक जोरदार झोंका आया और वह नदी के पानी में गिर गई | पानी में गिरने से उसके पंख गीले हो गए औरपंख गीले हो जाने से वह उड़ भी नहीं पा रही थी | उसे लगा अब वह नहीं बच पायेगी वह जोर से बचाव-बचाव चिल्लाने लगी | उसकी आवाज पास ही में बैठे कबूतर तक पहुंची | कबूतर ने पेड़ का एक पत्ता तोडा और अपनी चोंच से मधुमक्खी  के पास रख दिया |मधुमक्खी  उस पत्ते पर बैठ गई और उस नदी के किनारे लग गई |पंख सूखने पर वह फिर से उड़ने लगी |
एक दिन वही कबूतर अपने पेड़ पर बैठा था  | तभी एक शिकारी आया और अपनी बन्दूक से कबूतर पर निशाना साधा | मधुमक्खी  ने शिकारी को कबूतर पर निशाना साधते हुए देख लिया | मधुमक्खी  झट से शिकारी के पास पहुंची और शिकारी के हाँथ पर डंक मार दिया | शिकारी दर्द के कारण चिल्लाने लगा | शिकारी के चिल्लाने की आवाज से कबूतर ने शिकारी को देख लिया | कबूतर पूरा माजरा समझ गया और उसने वहां से उड़ कर अपनी जान बचा ली | 
शिकारी के जाने के बाद कबूतर ने अपनी जान बचाने के लिये मधुमक्खी  को धन्यवाद दिया |

शिक्षा- अच्छाई का फल अच्छा ही होता है |

(6) टिड्डा और चींटी की कहानी  | moral story in hindi

बसंत ऋतू का मौसम था | बसंत ऋतू में खाने के लिये अनाज की कोई कमी नहीं थी इस मौसम में एक टिड्डा  पेट भर खाना खाकर आराम कर रहा था  और गीत गाकर सुकून से रह रहा था | उसने देखा की कुछ चींटियां खाने की  सामग्री एकत्र कर रही हैं  और उसे अपने घरों में ले जा रहीं हैं | उसमें से एक चींटी टिड्डे की दोस्त थी | टिड्डे ने चींटी से कहा -''तुम सब कितनी लालची हो |आसपास अनाज का भण्डार है और तुम अनाज एकत्र कर रही हो |''
 चींटी ने जबाब दिया -''हम यह अनाज आने वाली गर्मी और बरसात के लिये एकत्र कर रहे हैं , और तुम्हे भी भविष्य के लिये कुछ अनाज संग्रहित करना चाहिये |''
टिड्डा  अपनी ही मस्ती में मस्त था और उधर से चींटीओं की हंसी उड़ाते हुए  अपना गाने गाते हुए मस्त चाल से उधर से चला गया |
धीरे-धीरे गर्मी का मौसम आया अनाज कम होने लगा और एक समय ऐसा आया की टिड्डा  के लिये खाने तो कुछ भी नहीं बचा | टिड्डा  अब परेशान हो गया | उसे अपनी दोस्त चींटी की याद आई |वह चींटी के घर पहुंचा और जाकर बोला -'' मैं बहुत भूखा हूँ , मुझे कुछ खाने को दे दो |''
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चींटी बोली -''बसंत ऋतू में जब अनाज था तब तो तुम मस्त  गीत गाकर घूम रहे थे और हमारी हंसी उड़ा रहे थे , तुम जैसे आलसी के सांथ ऐसा ही होना चाहिये | जाओ मैं तुम्हे कुछ नहीं डे सकती |''

शिक्षा- बचत और मेहनत ही भविष्य में काम आती है |

(7) आलसी व्यक्ति और उसकी ईश्वर भक्ति | moral story in hindi -

एक व्यक्ति था वह ईश्वर का परम भक्त था परन्तु वह आलसी भी था | एक दिन वह बैलगाड़ी में बैठ कर दुसरे  गाँव जा रहा था , रास्ते में उसे एक नाला मिला | नाले में उसकी बैलगाड़ी धंस गई |  व्यक्ति बैलगाड़ी  उतारा और पेड़ के नीचे बैठकर भगवान को याद करने लगा | वह व्यक्ति सच्चे में से भगवान को याद कर रहा था | आखिरकार उसकी भक्ति के कारण भगवान उसके सामने प्रकट हो गए | भगवान उस व्यक्ति से बोले -' तुमने मुझे क्यूँ याद किया है ? वह इंसान भगवान् से बोला-''भगवान मेरी गाड़ी नाले में फंस गई है , इसे निकाल दीजिए |'' भगवान  को भी उस पर हंसी आई | भगवान ने कहा --'' हे भले मानस , इस प्रकारमैं मनुष्य का हर छोटा-मोटा काम करने लगा  तो मनुष्य कुछ नहीं करेगा , ईश्वर  तो मनुष्य को केवल शक्ति  प्रदान करता है , काम तो मनुष्य को ही करना पड़ेगा  |वह व्यक्ति  ईश्वर  से कहने लगा कि उसमें इतना शक्ति  नहीं है की वह नाले से बैलगाड़ी निकाल सके |  ईश्वर  ने  उसे समझाया जा तू अपने बैलों को ललकार और अपनी पूरी शक्ति लगा दे मेरा आशीर्वाद और मेरी शक्ति  तेरे सांथ है | उस व्यक्ति ने भगवान की बात मानकर भगवान  को स्मरण कर  बैसा ही किया  और अपनी बैलगाड़ी को नाले से बाहर ले आया |

शिक्षा-  ईश्वर  इंसान को आत्मविश्वास और शक्ति  देता है परन्तु अपने काम  इंसान को स्वयं मेहनत और प्रयत्न  से ही करना पड़ता है |

(8) मिठाई की सुगंध और पैसे की पैसे की खनखनाहट| moral story in hindi -

एक मजदूर था अवह प्रतिदिन मजदूरी करने गाँव के बाहर जाता था | एक दिन वह मजदूरी क्र बाद घर लौट रहा था | रास्ते में उसे मिठाई की सुगंध आई |वह अनायास ही उस सुगंध की और मुड़ गया | उसने देखा सामने की तरफ एक हलवाई की मिठाई की दुकान है | वह उस दूकान के पास जाकर खड़ा हो गया | उसके पास मिठाई खरीदने के पैसे नहीं थे इसी कारण वह कुछ देर वहीँ खड़ा होकर मिठाई की सुगंध का आनंद लेता रहा | जब वह उधर से जाने लगा तो हलवाई ने मजदूर को रोककर कहा-'' किधर जा रहे हो पैसे तो देते जाओ |'' हलवाई के बात सुनकर मजदूर हक्का बक्का रह गया और उसने पूछा -''किस बात के पैसे |''
हलवाई ने कहा -''तुम इतनी देर खड़े होकर मेरी मिठाईयों की खुशबु ले रहे थे उसी के पैसे , मिठाई की खुशबू लेना भी मिठाई खाने के समान ही है |''
हलवाई की बात सुनकर मजदूर सन्न रह गया | फिर वह कुछ सोचने लगा और अपने जेब में हाँथ डालकर सिक्के खनखनाने लगा | सिक्कों की आवाज सुनकर हलवाई भी खुश हो गया सोचने लगा कि मजदूर उसे सिक्के देने वाला है | फिर थोड़ी देर बार मजदूर ने कहा -'' मिल गए तुम्हें अपने पैसे |''
हलवाई ने कहा -'' मुझसे मजाक मत करो और चुपचाप मेरे पैसे दे दो '' | मजदूर ने कहा -'' मैंने पैसे तो दे दिए |'' मजदूर की बात सुनकर हलवाई गुस्से में कहने लगा --'' तुमने पैसे कब दिए हैं |''
मजदूर ने कहा -'' जैसे मिठाई की सुगन्ध लेना मिठाई खाने के सामान है उसी तरह पैसे की खनखनाहट सुनना पैसा लेने के समान है |''

शिक्षा- जैसे को तैसा उत्तर देना चाहिये |

(9) नाकामी से भी सीख लेना | moral story in hindi -

थॉमस एडिसन बल्ब का फिलामेंट बनाने का प्रयत्न कर रहे थे | फिलामेंट के लिये उन्होंने दो हजार बार बिभिन्न तत्वों और धातुओं का प्रयोग किया परन्तु उनका प्रयोग हर बार नाकामयाब रहा |नाकामी देख उनके शिष्य ने कहा-'' हमारी पूरी मेहनत बेकार गई और हमें इससे कुछ नहीं मिला |''
शिष्य की बात सुनकर थॉमस एडिसन हँसते हुए बोले -'' हमने बहुत लम्बा रास्ता तय किया है और इस सफ़र में हमने यह सीखा है की इन दो हजार तत्वों और धातुओं का उपयोग करके बल्ब के लिये अच्छे फिलामेंट नहीं बना सकते | "
थॉमस एडिसन ने आगे भी अपना प्रयोग जारी रखा और अंततः बल्ब का फिलामेंट बनाने में सफलता पाई |

सिक्षा - हमें नाकामी से घबराना नहीं चाहिये और लगातार प्रयत्न करने से ही सफलता मिलती है |

(10) माँ की ममता और राजा का इन्साफ | moral story in hindi -

बहुत समय पहले की बात है एक बच्चे के लिए दो स्त्रियाँ झगडा कर रहीं थीं | वह दोनों ही कह रहीं थीं के बच्चे की असली माँ वही है| बच्चा बहुत हो छोटा था वह ना तो कुछ बोला पाता था ना ही बतला पाता था | लोगों ने महिलाओं को समझाने का  बहुत प्रयत्न किया परन्तु झगडा शांत नहीं हुआ | आखिरकार लोग उन दोनों औरतों को राजा के पास ले गए | राजा ने दोनों से पूछा बच्चा किसका है | दोनों औरतों ने अपना-अपना दावा पेश किया | राजा ने यहाँ तक कहा कि सच पतला दो अन्यथा  जो औरत झूंठ बोल रही है उसे दण्ड दिया जायेगा | फिर भी दोनों बच्चे को अपना बतलाती रहीं|कोई भी निर्णय ना  होते देख राजा को  उपाय सूझा |
 आखिर राजा ने अपने सैनिकों से  कहा -''  ये दोनों ही बच्चे की असली माँ हैं , दोनों का यही दावा है तो बच्चे को दो टुकड़े करके दोनों महिलाओं को दे दो |''
उनमें से एक स्त्री कुछ नहीं बोली और दूसरी स्त्री जोर-जोर से रोने लगी और बोली -'' महाराज दया करें ,मेरे बच्चे को ना मारें ,आप चाहें तो इस स्त्री को मेरा बच्चा दे दें , मैं इस बच्चे पर से अपना दावा छोड़ती हूँ |''
राजा तुरंत समझ गया की बच्चे की असली माँ कोन है ?  उसने बच्चा रोने वाली माँ को दे दिया और दूसरी स्त्री को जेल भिजवा दिया |

शिक्षा- '' माँ कभी भी अपने बच्चों का बुरा होते नहीं देख सकती और  अंत में जीत सच्चाई की होती है |

(11) राजा को  चींटी की सीख | moral story in hindi -

एक  राजा था उसका नाम रूद्रदमन था वह पहुत ही बहादुर और पराक्रमी था | एक बार पडोसी राज्य के राजा ने उस पर आक्रमण कर दिया और रूद्रदमन बहुत ही  शाहस और बहादुरी से लड़ा परन्तु उसकी सेना छोटी होने के कारण वह हार गया और मजबूरन उसे पास की पहाड़ियों में शरण लेनी पड़ी |पडोसी राजा ने उसका  राज्य छीन लिया | राजा ने अपने राज्य को वापस लेने का प्रयत्न किया परन्तु उसे सफलता नहीं मिली |
रूद्र दमन बहुत उदास होकर  जब पहाड़ी की गुफा में आराम कर रहा था  उसी समय उसकी नजर एक चींटी पर पड़ी वह अपना भोजन ले जाने के लिये  गुफा की दीवार  पर चढ़ने  का प्रयत्न कर रही थी रही थी परन्तु दीवार  सीधी और चिकनी होने के कारण उसे सफलना नहीं मिल पा रही थी | वह कई बार दीवार से गिरी परन्तु हर बार उठकर पुनः दीवार पर चढ़ने का प्रयत्न करती | | अंत में चींटी  उस दीवार के ऊपर चड़ने में कामयाब हो गई  |राजा यह सब बड़े ध्यान से देख रहा था | यह सब देख राजा सोचने लगा जब यह नन्ही सी चींटी बार-बार असफल होने के बाद भी प्रयत्न करती रही और इसे सफलता मिली | मैं तो एक राजा हूँ मुझे प्रयास करने में सफलता क्यूँ नहीं मिलेगी |अब राजा एक नए जोश के सांथ उठ खड़ा हुआ और उसने अपनी बिखरी सेना एकत्र की और कुछ दिन युद्ध का अभ्यास किया और युद्ध तैयारिया शुरू कर दी |
एक दिन फिर से दोनों राजाओं की सेनायें  आमने सामने थीं परन्तु इस बार रूद्रदमन पूरी तैयारी से युद्ध में शामिल हुआ और अपने शत्रू को परास्त  कर अपना राज-पाठ वापस लेने  में सफल रहा |

सिक्षा - असफलता  से ना डरकर बार-बार प्रयत्न करने  से ही सफलता मिलती है |

(12) घमंडी मोर और बुद्धिमान सारस | moral story in hindi -

एक मोर  था उसे अपने शरीर और अपनी सुन्दरता का बड़ा घमंड था | वह हमेशा अपने पंखों और अपने सोंदर्य का बखान करता रहता था | एक दिन वह एक तालाब  के किनारे पानी पी रहा था |उसी समय वहां पास में एक सारस भी टहल रहा था | उसने मोर को देख कर उसके हाल-चाल पूछे | मोर ने मुंह सिकोड़ते हुए जवाब दिया-''मै तो अच्छा हूँ , जिधर भी जाता हूँ मेरी सुन्दरता देख कर लोग मुझसे दोस्ती करना चाहते हैं परन्तु तुम को रंगहीन हो और तुम्हारे पंख भी  सादे और रंगहीन है |''

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सारस को मोर की बात बार हंसी आई वह हंसकर बोला-'' सच कह रहे हो मोर मित्र तुम तो बहुत ही खुबसूरत हो तुम्हारे पंख भी बहुत रंग बिरंगे हैं परन्तु जो काम मेरे पंख कर सकते हैं वह तुम्हारे पंख नहीं कर सकते , मैं तो अपने पंखो से आसमान में बहुत  दूर तक उड़ सकता हूँ परन्तु तुम नहीं उड़ सकते |''
इतना कहकर सारस अपने पंखों से आसमान में दूर तक उड़ गया और मोर देखता रह गया |

शिक्षा- सुन्दरता से अधिक गुण महत्वपूर्ण होते हैं |

(13) लालबहादुर शास्त्री और कपडे की सिलाई | moral story in hindi -

लाल बहादुर शास्त्री भारत के सबसे चहेते प्रधानमंत्रीयों  में से एक थे | वह एक गरीब परिवार से आये थे वे  अपना हर काम स्वयं ही करते थे |  अगर उनके कपडे फट जाते तो नया कपडा लेने के बजाय वह उसे सिल कर पहन लेते थे | जब वह भारत के प्रधान मंत्री थे तब एक दिन वह सुई धागा से अपना कुर्ता  सिल रहे थे उस समय उनके एक मित्र भी वहीँ थे | शास्त्री जी को कुर्ता सिलता देख अचंभित होकर शास्त्रीजी से कहने लगे- '' आप तो भारत के प्रधान मंत्री है और आप चाहें तो नया कुर्ता ले सकतें हैं परन्तु आप तो कुर्ते  को  स्वयं ही सिल रहें हैं | आप चाहें तो आपके कर्मचारी से भी यह काम करवा  सकते हैं |''
शास्त्रीजी ने मित्र को उत्तर दिया -'' मित्र मैं एक गरीब परिवार से आया हूँ और और एक गरीब देश का प्रधानमंत्री हूँ अगर में रोज नये कपडे पहनू तो यह पैसा मेरे देश की गरीब जनता के जेब से जायेगा  और मेरे जो कर्मचारी  हैं यह मेरे शासकीय कार्यों के लिये हैं ना की मेरा कुर्ता सिलने के लिये |''
भारत के एक प्रधानमंत्री के बात सुनकर उनके  मित्र भी निरुत्तर रह गए  और मन ही मन शात्री जी की महानता के कायल हो गए |

शिक्षा- ''व्यक्ति अपने पद से नहीं अपितु  अपने कर्मों से महान बनता है |''

(14)  जिद्दी बच्चा | moral story in hindi -

एक बच्चा था वह बहुत ही जिद्दी था |उसे बादाम और काजू बहु पसंद थे वह हमेशा अपनी माँ से काजू और बादाम मांगता था उसकी माँ  उसे थोड़े से काजू  और कुछ बादाम दे देती थी परन्तु वह और ज्यादा काजू-बादाम की मांग करता | उसकी माँ उसे हमेशा समझाती कि थोड़े से काजू-बादाम बच्चों के लिए अच्छे होते हैं परन्तु ज्यादा काजू बादाम से पेट में दर्द होने लगेगा | उस समय वह माँ की बात तो मान लेता परन्तु जबभी उसे मौका मिलता वह ढेर सारे  काजू बादाम खा लेता |
एक बार उसकी माँ बाहर गई थी | बच्चा घर में अकेला था उसने काजू-बादाम ढूंढे और पेट भर खा लिए अब बच्चे के पेट में जोरों का दर्द होने लगा | घर में कोई नहीं था बच्चा बहुत देर तक परेशान  होता रहा | जैसे ही उसकी माँ आई तो उसे डॉक्टर के पास ले गई | डॉक्टर ने भी बच्चे को समझाया की हमेशा अपने मन की नहीं करना चाहिये | बच्चों को हमेशा अपने माता-पिता की बात मानना चाहिये |

शिक्षा- माता-पिता बच्चों के भलाई के ही बात करते हैं और हमें हमेशा अपने माता-पिता की बात माननी  चाहिये |

 
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(15)  शेर आया-शेर आया  | moral story in hindi -

एक बालक था वह बहुत शैतान था | वह रोज भेड़ चराने जंगल जाता था | एक दिन उसके दिमाग में आया कि आज गाँव के लोगों को परेशान किया जाये |जब वह ऊँची पहाड़ी पर भेड़ चारा रहा था और वहीँ से जोर जोर से चिलाने लगा शेरआया-शेर आया | गाँव वाले उसकी बात सुनकर अपने डंडे-लाठियां लेकर उस पहाड़ी तक पहुँच गए |गाँव वालों को आया देख बच्चा जोर जोर से हँसने लगा | गाँव वाले समझ बच्चे ने गाँव वालों को परेसान करने के लिये यह सब किया है |
कुछ दिनों बाद बच्चे ने फिर वही काम किया | गाँव वाले इस बार भी पहाड़ी पर पहुँच गए परन्तु इस बार भी कोई शेर नहीं आया |
कुछ दिनों बाद जब बच्चा पहाड़ी पर भेड़ चारा रहा था तब सचमुच शेर आ गया और भेड़ों पर हमला कर दिया | बच्चा जोर-जोर चिल्लाने लगा शेरआया -शेर आया | गाँव वालों ने बच्चे के चिल्लाने की आवाज सुनी परन्तु इस बार किसी ने उसके चिल्लाने पर ध्यान नहीं दिया | जब वह बहुत देर तक चिल्लाता रहा तब गाँव वाले पहाड़ी पर पहुचे और बच्चे और भेड़ों को बचाया परन्तु तब तक शेर कुछ भेड़ों का शिकार कर चुका था | बच्चे को अपनी हरकत और गलती पर बहुत शर्मिंदगी हुई |

शिक्षा- बार-बार झूंठ बोलने वाले की सही बात भी लोगों को झूंठी ही लगती है इसीलिये झूंठ नहीं बोलना चाहिये |

(16 ) अपना देश | moral story in hindi -

एक  नगर में एक शेरू नाम का कुत्ता रहता था एक बार उस नगर में अकाल पड़ गया ,मनुष्यों के पास खाने को नहीं बचा तो भला कुत्तों को क्या मिलता |

जब शेरू ने देखा कि अकाल के कारण सभी कुत्ते मरने लगे तो वह अपनी भूख का निदान ढूंढने उस नगर को छोड़कर दूसरे नगर में चला गया जहाँ उसे खाने की कोई कमी नहीं थी | वह जहाँ जाता था वहां उसे खाना मिल जाता था | किन्तु वह जिस इलाके में जाता वहां के कुत्ते उसे नोंच –नोंचकर अधमरा कर देते थे और वह लहू लुहान हो जाता था | जब वह थोडा ठीक होता तो खाने की तलाश में जाना ही पड़ता था | जब वह खा –पीकर बाहर निकलता तो फिर वही हाल होता था | रोज-रोज मार खाते उसने सोचा कि इस तरह तो यहाँ एक दिन अपनी जान गवानी पड़ेगी तो वह तंग आकर वापस अपने नगर आ गया|

जब उसके पुराने सांथियों ने उससे पूछा- '' क्यों शेरू भाई तुम क्यों लौट आये क्या वहां खाने को नहीं मिलता था ?''
शेरू बोला- '' नहीं-नहीं वहां खाने कि कोई कमी नहीं थी ,बस एक ही दुःख था भाई कि वहां के कुत्ते मेरे प्राण लेने पर उतारू थे और उसने अपने घाव साथियों को दिखाए | बह बोला भाई यहाँ अकाल ही सही पर कोई काटने तो नहीं दौड़ता,यहाँ भूंखे रहना मंजूर है पर दूसरे नगर जाकर जान जोखिम में डालना मंजूर नहीं है | अब मैं कहीं नहीं जाऊंगा |''

शिक्षा - परदेश में सौ सुख मिलें तो भी अपना देश अपना ही होता है |

 इस वेबपेज के माध्यम  से  हमने बच्चों के लिये कुछ सिखाप्रद हिंदी कहानियां (moral story in hindi ) पहुंचाने का प्रयत्न किया है | आगे भी हमारा यह प्रयास जारी रहेगा |