हिंदी की नैतिक शिक्षाप्रद कहानियां | Best moral story in hindi -
बच्चों को बचपन से जो बातें सिखलाई जाती है उनका असर लम्बे समय तक बच्चों के दिमाग में रहता है | इसीलिये हमारे ऋषि-मुनियों और लेखकों ने समय-समय बच्चों के लिये प्रेरणादायक कहानियों (moral story in hindi) के रचना की हैं ताकि इन कहानियों से बच्चे मनोरंजन के सांथ-सांथ कुछ ज्ञानवर्धक बातें सीख सकें | उनमें से कुछ चुनी गई कहानियां (moral story in hindi ) नीचे दी गई हैं-(1)लोमड़ी और अंगूर खट्टे हैं | moral story in hindi -
जाते जाते लोमड़ी अंगूर को देख कर कहती है --'' अंगूर तो खट्टे है , इन्हें खाने से क्या फायदा |''
शिक्षा- इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हार मानने में बुराई नहीं है |
(2) राजा और चमड़े की सड़क | moral story in hindi -
जब बात मंत्री को पता चली तो उसने हिसाब लगाया की चमड़े की कालीन बनवाने में लाखो जानवरों को मारना पड़ेगा ,जानवरों के मरने से लोगों को दूध भी नहीं मिलेगा, खेती के लिये जानवर भी नहीं बचेंगे , महामारी भी फैलेगी और शासकीय खजाना खाली हो जायेगा |
मंत्री ने हिम्मत कर राजा से कहा -'' महाराज इस तरह तो हमारा खजाना ही खाली हो जायेगा और लाखो जानवर भी मारे जायेंगे, अच्छा होगा की हम सड़कों पर चमड़े की कालीन बिछाने के बदले अपने पैरों के लिये उसी चमड़े की जूती बनवा लें ''|
राजा को मंत्री का सुझाव बहुत पसंद आया और उसने अपनी गरीब प्रजा के लिये चमड़े के जूते सिलवा दिए |
शिक्षा- इस कहानी से हमे शिक्षा मिलती है कि पूरी दुनिया को सुधारने से अच्छा है हम अपने स्वयं को सुधार लें |
(3) चालाक लोमड़ी और कौआ की कहानी | moral story in hindi -
लोमड़ी की चिकनी-चुपड़ी बातें सुनकर कौआ सोचने लगा सचमुच मैं कौओं का राजा बन सकता हूँ, यह बात मैं लोमड़ी को सिद्ध कर देता हूँ | कौआ ने गाने के लिये जैसे ही अपनी चोंच खोली रोटी जमीन पर गिर गई | लोमड़ी तो यही चाहती थी उसने झट से रोटी उठाई और उधर से भाग गई |
शिक्षा- चिकनी -चुपड़ी बातें करने वालों से हमेशा सावधान रहना चाहिये |
(4) मोर और कौआ की कहानी | moral story in hindi -
Best Moral Story In Hindi |
एक जंगल में एक कौआ रहता था वह जब भी जंगल के मोरों को देखता तो मोरों की खूबसूरती को देख मन ही मन जलता और सोचता भगवान् ने उसे इतना सुन्दर शरीर क्यूँ नहीं दिया | एक दिन उसने देखा की जंगल में बहुत से मोर नृत्य कर रहे हैं | नृत्य करने के बाद मोरों के बहुत से पंख जंगल में बिखर गए | कौए ने मोरों के पंख एकत्र किये और अपने शरीर पर चिपका लिये | उसने सोचा अब वह मोरों से भी ज्यादा सुन्दर दिखने लगा और यही दिखलाने के लिये मोरों के पास पहुँच गया | उसे देख मोर जोरों से हँसने लगे | कुछ मोरों को लगा यह धोखे से मोरों में शामिल होना चाहता है | मोरों ने मिलकर कौए की पिटाई कर दी | कौआ उधर से भाग कर मोरों को सबक सिखलाने के लिये अन्य कौओं के पास पहुंचा और सारा किस्सा बतलाया | कौओं की सभा लगी एक बुजुर्ग कौआ बोला -'' यह हमारा अपमान करता है और मोर बनना चाहता है | जो प्राणी अपनी जाती से संतुष्ट नहीं रहता वह , कहीं भी संतुष्ट नहीं हो सकता | यह मोरों से पिटकर हमारे पास आया है |हमें भी इससे अपनी बेज्जती का बदला लेना चाहिये |''
इतना सुनकर सारे कौओं ने मिलकर उसकी की पिटाई कर दी |
शिक्षा- ईश्वर ने हमें जैसा रूप दिया उसी में खुश रहना चाहिये और प्राणी अपने रूप से नहीं वल्कि कर्मों से महान बनता है |
(5) मधुमक्खी और कबूतर की कहानी | moral story in hindi
एक दिन वही कबूतर अपने पेड़ पर बैठा था | तभी एक शिकारी आया और अपनी बन्दूक से कबूतर पर निशाना साधा | मधुमक्खी ने शिकारी को कबूतर पर निशाना साधते हुए देख लिया | मधुमक्खी झट से शिकारी के पास पहुंची और शिकारी के हाँथ पर डंक मार दिया | शिकारी दर्द के कारण चिल्लाने लगा | शिकारी के चिल्लाने की आवाज से कबूतर ने शिकारी को देख लिया | कबूतर पूरा माजरा समझ गया और उसने वहां से उड़ कर अपनी जान बचा ली |
शिक्षा- अच्छाई का फल अच्छा ही होता है |
(6) टिड्डा और चींटी की कहानी | moral story in hindi
चींटी ने जबाब दिया -''हम यह अनाज आने वाली गर्मी और बरसात के लिये एकत्र कर रहे हैं , और तुम्हे भी भविष्य के लिये कुछ अनाज संग्रहित करना चाहिये |''
टिड्डा अपनी ही मस्ती में मस्त था और उधर से चींटीओं की हंसी उड़ाते हुए अपना गाने गाते हुए मस्त चाल से उधर से चला गया |
धीरे-धीरे गर्मी का मौसम आया अनाज कम होने लगा और एक समय ऐसा आया की टिड्डा के लिये खाने तो कुछ भी नहीं बचा | टिड्डा अब परेशान हो गया | उसे अपनी दोस्त चींटी की याद आई |वह चींटी के घर पहुंचा और जाकर बोला -'' मैं बहुत भूखा हूँ , मुझे कुछ खाने को दे दो |''
Best Moral Story In Hindi |
चींटी बोली -''बसंत ऋतू में जब अनाज था तब तो तुम मस्त गीत गाकर घूम रहे थे और हमारी हंसी उड़ा रहे थे , तुम जैसे आलसी के सांथ ऐसा ही होना चाहिये | जाओ मैं तुम्हे कुछ नहीं डे सकती |''
शिक्षा- बचत और मेहनत ही भविष्य में काम आती है |
(7) आलसी व्यक्ति और उसकी ईश्वर भक्ति | moral story in hindi -
शिक्षा- ईश्वर इंसान को आत्मविश्वास और शक्ति देता है परन्तु अपने काम इंसान को स्वयं मेहनत और प्रयत्न से ही करना पड़ता है |
(8) मिठाई की सुगंध और पैसे की पैसे की खनखनाहट| moral story in hindi -
हलवाई ने कहा -''तुम इतनी देर खड़े होकर मेरी मिठाईयों की खुशबु ले रहे थे उसी के पैसे , मिठाई की खुशबू लेना भी मिठाई खाने के समान ही है |''
हलवाई की बात सुनकर मजदूर सन्न रह गया | फिर वह कुछ सोचने लगा और अपने जेब में हाँथ डालकर सिक्के खनखनाने लगा | सिक्कों की आवाज सुनकर हलवाई भी खुश हो गया सोचने लगा कि मजदूर उसे सिक्के देने वाला है | फिर थोड़ी देर बार मजदूर ने कहा -'' मिल गए तुम्हें अपने पैसे |''
हलवाई ने कहा -'' मुझसे मजाक मत करो और चुपचाप मेरे पैसे दे दो '' | मजदूर ने कहा -'' मैंने पैसे तो दे दिए |'' मजदूर की बात सुनकर हलवाई गुस्से में कहने लगा --'' तुमने पैसे कब दिए हैं |''
मजदूर ने कहा -'' जैसे मिठाई की सुगन्ध लेना मिठाई खाने के सामान है उसी तरह पैसे की खनखनाहट सुनना पैसा लेने के समान है |''
शिक्षा- जैसे को तैसा उत्तर देना चाहिये |
(9) नाकामी से भी सीख लेना | moral story in hindi -
शिष्य की बात सुनकर थॉमस एडिसन हँसते हुए बोले -'' हमने बहुत लम्बा रास्ता तय किया है और इस सफ़र में हमने यह सीखा है की इन दो हजार तत्वों और धातुओं का उपयोग करके बल्ब के लिये अच्छे फिलामेंट नहीं बना सकते | "
थॉमस एडिसन ने आगे भी अपना प्रयोग जारी रखा और अंततः बल्ब का फिलामेंट बनाने में सफलता पाई |
सिक्षा - हमें नाकामी से घबराना नहीं चाहिये और लगातार प्रयत्न करने से ही सफलता मिलती है |
(10) माँ की ममता और राजा का इन्साफ | moral story in hindi -
आखिर राजा ने अपने सैनिकों से कहा -'' ये दोनों ही बच्चे की असली माँ हैं , दोनों का यही दावा है तो बच्चे को दो टुकड़े करके दोनों महिलाओं को दे दो |''
उनमें से एक स्त्री कुछ नहीं बोली और दूसरी स्त्री जोर-जोर से रोने लगी और बोली -'' महाराज दया करें ,मेरे बच्चे को ना मारें ,आप चाहें तो इस स्त्री को मेरा बच्चा दे दें , मैं इस बच्चे पर से अपना दावा छोड़ती हूँ |''
राजा तुरंत समझ गया की बच्चे की असली माँ कोन है ? उसने बच्चा रोने वाली माँ को दे दिया और दूसरी स्त्री को जेल भिजवा दिया |
शिक्षा- '' माँ कभी भी अपने बच्चों का बुरा होते नहीं देख सकती और अंत में जीत सच्चाई की होती है |
(11) राजा को चींटी की सीख | moral story in hindi -
रूद्र दमन बहुत उदास होकर जब पहाड़ी की गुफा में आराम कर रहा था उसी समय उसकी नजर एक चींटी पर पड़ी वह अपना भोजन ले जाने के लिये गुफा की दीवार पर चढ़ने का प्रयत्न कर रही थी रही थी परन्तु दीवार सीधी और चिकनी होने के कारण उसे सफलना नहीं मिल पा रही थी | वह कई बार दीवार से गिरी परन्तु हर बार उठकर पुनः दीवार पर चढ़ने का प्रयत्न करती | | अंत में चींटी उस दीवार के ऊपर चड़ने में कामयाब हो गई |राजा यह सब बड़े ध्यान से देख रहा था | यह सब देख राजा सोचने लगा जब यह नन्ही सी चींटी बार-बार असफल होने के बाद भी प्रयत्न करती रही और इसे सफलता मिली | मैं तो एक राजा हूँ मुझे प्रयास करने में सफलता क्यूँ नहीं मिलेगी |अब राजा एक नए जोश के सांथ उठ खड़ा हुआ और उसने अपनी बिखरी सेना एकत्र की और कुछ दिन युद्ध का अभ्यास किया और युद्ध तैयारिया शुरू कर दी |
एक दिन फिर से दोनों राजाओं की सेनायें आमने सामने थीं परन्तु इस बार रूद्रदमन पूरी तैयारी से युद्ध में शामिल हुआ और अपने शत्रू को परास्त कर अपना राज-पाठ वापस लेने में सफल रहा |
सिक्षा - असफलता से ना डरकर बार-बार प्रयत्न करने से ही सफलता मिलती है |
(12) घमंडी मोर और बुद्धिमान सारस | moral story in hindi -
Best Moral Story In Hindi |
सारस को मोर की बात बार हंसी आई वह हंसकर बोला-'' सच कह रहे हो मोर मित्र तुम तो बहुत ही खुबसूरत हो तुम्हारे पंख भी बहुत रंग बिरंगे हैं परन्तु जो काम मेरे पंख कर सकते हैं वह तुम्हारे पंख नहीं कर सकते , मैं तो अपने पंखो से आसमान में बहुत दूर तक उड़ सकता हूँ परन्तु तुम नहीं उड़ सकते |''
इतना कहकर सारस अपने पंखों से आसमान में दूर तक उड़ गया और मोर देखता रह गया |
शिक्षा- सुन्दरता से अधिक गुण महत्वपूर्ण होते हैं |
(13) लालबहादुर शास्त्री और कपडे की सिलाई | moral story in hindi -
शास्त्रीजी ने मित्र को उत्तर दिया -'' मित्र मैं एक गरीब परिवार से आया हूँ और और एक गरीब देश का प्रधानमंत्री हूँ अगर में रोज नये कपडे पहनू तो यह पैसा मेरे देश की गरीब जनता के जेब से जायेगा और मेरे जो कर्मचारी हैं यह मेरे शासकीय कार्यों के लिये हैं ना की मेरा कुर्ता सिलने के लिये |''
भारत के एक प्रधानमंत्री के बात सुनकर उनके मित्र भी निरुत्तर रह गए और मन ही मन शात्री जी की महानता के कायल हो गए |
शिक्षा- ''व्यक्ति अपने पद से नहीं अपितु अपने कर्मों से महान बनता है |''
(14) जिद्दी बच्चा | moral story in hindi -
एक बार उसकी माँ बाहर गई थी | बच्चा घर में अकेला था उसने काजू-बादाम ढूंढे और पेट भर खा लिए अब बच्चे के पेट में जोरों का दर्द होने लगा | घर में कोई नहीं था बच्चा बहुत देर तक परेशान होता रहा | जैसे ही उसकी माँ आई तो उसे डॉक्टर के पास ले गई | डॉक्टर ने भी बच्चे को समझाया की हमेशा अपने मन की नहीं करना चाहिये | बच्चों को हमेशा अपने माता-पिता की बात मानना चाहिये |
शिक्षा- माता-पिता बच्चों के भलाई के ही बात करते हैं और हमें हमेशा अपने माता-पिता की बात माननी चाहिये |
(15) शेर आया-शेर आया | moral story in hindi -
कुछ दिनों बाद बच्चे ने फिर वही काम किया | गाँव वाले इस बार भी पहाड़ी पर पहुँच गए परन्तु इस बार भी कोई शेर नहीं आया |
कुछ दिनों बाद जब बच्चा पहाड़ी पर भेड़ चारा रहा था तब सचमुच शेर आ गया और भेड़ों पर हमला कर दिया | बच्चा जोर-जोर चिल्लाने लगा शेरआया -शेर आया | गाँव वालों ने बच्चे के चिल्लाने की आवाज सुनी परन्तु इस बार किसी ने उसके चिल्लाने पर ध्यान नहीं दिया | जब वह बहुत देर तक चिल्लाता रहा तब गाँव वाले पहाड़ी पर पहुचे और बच्चे और भेड़ों को बचाया परन्तु तब तक शेर कुछ भेड़ों का शिकार कर चुका था | बच्चे को अपनी हरकत और गलती पर बहुत शर्मिंदगी हुई |
शिक्षा- बार-बार झूंठ बोलने वाले की सही बात भी लोगों को झूंठी ही लगती है इसीलिये झूंठ नहीं बोलना चाहिये |
(16 ) अपना देश | moral story in hindi -
एक
नगर में एक शेरू नाम का कुत्ता रहता था एक बार उस नगर में अकाल पड़ गया ,मनुष्यों के पास खाने को नहीं बचा तो भला कुत्तों को क्या मिलता |
जब शेरू ने देखा कि अकाल के कारण सभी कुत्ते मरने लगे तो वह अपनी भूख का निदान ढूंढने उस नगर को छोड़कर दूसरे नगर में चला गया जहाँ उसे खाने की कोई कमी नहीं थी | वह जहाँ जाता था वहां उसे खाना मिल जाता था | किन्तु वह जिस इलाके में जाता वहां के कुत्ते उसे नोंच –नोंचकर अधमरा कर देते थे और वह लहू लुहान हो जाता था | जब वह थोडा ठीक होता तो खाने की तलाश में जाना ही पड़ता था | जब वह खा –पीकर बाहर निकलता तो फिर वही हाल होता था | रोज-रोज मार खाते उसने सोचा कि इस तरह तो यहाँ एक दिन अपनी जान गवानी पड़ेगी तो वह तंग आकर वापस अपने नगर आ गया|
जब उसके पुराने सांथियों ने उससे पूछा- '' क्यों शेरू भाई तुम क्यों लौट आये क्या वहां खाने को नहीं मिलता था ?''
शेरू बोला- '' नहीं-नहीं वहां खाने कि कोई कमी नहीं थी ,बस एक ही दुःख था भाई कि वहां के कुत्ते मेरे प्राण लेने पर उतारू थे और उसने अपने घाव साथियों को दिखाए | बह बोला भाई यहाँ अकाल ही सही पर कोई काटने तो नहीं दौड़ता,यहाँ भूंखे रहना मंजूर है पर दूसरे नगर जाकर जान जोखिम में डालना मंजूर नहीं है | अब मैं कहीं नहीं जाऊंगा |''
शिक्षा - परदेश में सौ सुख मिलें तो भी अपना देश अपना ही होता है |
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